बर्णनाता हैं
कि समर्द्रवद्धार करके प्रत्दुमन और मायावती आये
जब माता रुकमणीन न देखा मेरा पुत्र
इतना बड़ा हो गया तो बड़ी प्रसन हुई है
और इसी बीच
बगवान ने सोलाहजार एकसोस साथ विवा किये हैं
कहा कि भगवान का दूसरा विवा जामवती के साथ हुआ है
तो आज राजा परिछितन प्रश्नी किया गुर्देव एक रीच की
बेटी भालू की बेटी के साथ भगवान का विवा कैसे हो सकता है
तो आज श्री सुखदेव जी बढ़न करने लगे राजन
एक राजा था उसका नाम तो सत्याजित उसके पास एक मडी थी
उसका नाम तो इसमें तक मडी वे मडी
नित्य प्रती आठ भार
सोना देती थी
तो एक दिन भगवान ने सत्याजित से कहा रे सत्याजित
ये एक काम करो
की ये मडी जो है ना ये मेरे खजाने में जमा करबा दो और
हम ऐसे कई लोगों की सहता करेंगे
तो मना कर दिया कहा मैं नहीं दूँगा भगवान कहा कोई बात नहीं
अगले दिन क्या हुआ?
अगले दिन क्या हुआ?
की जो राज सत्याजित है उसका भाई प्रसेंजित
वे हैं जंगल में सिकार खेलने केलिये गया और வेर मडी उसने पहनली
मडी को पहना
सिकार खेलने चलागया तो राजते में सिंग मिला
सिंग ने प्रसेंज़ को मार कररें के * के का भरना
प्रभावादा राजते में जामवंत जी मिल गए और जामवंत जी ले
सिंग को मार कर के मड़ी ले ली और जामवती को दे दी है
वर्णनाता है कि जो राजा सत्रा जित है उसने क्या किया
कि जब उसके भाई परसेन लोटा नहीं तो आज उसने भगवान
का नाम लगा दिया जूटा नाम भगवान का लगा दिया
अरे यही वासुदेव कृष्ण जो है न यह मुझसे कल मड़ी मांग
रहा था मड़ी नहीं दी तो मेरे भाई परसेन को मार दिया
भगवान का कुरोध आ गया
तो आज
भगवान कुस सिपाइयों को लेकर गये
और जाकर
के देखा तो परसेन म्रा हैि शेंग के प़ेरो की निषाण है आगे गए तो देहा
मरा भालू के प़ेरो के निषां बने हुए selemor cobra
जामबंद जी आ गये और बहुत भीशन युद्ध हुआ है।
इतना भीशन युद्ध कई दिन काई रात बीठ गए।
पूरे
संसार में ऐसा कोई नहीं था जो जामबंद जी को हरा सके।
जब महराज भगवान बामन ने विराट रूप लिया था
उस समय जामबंद जी जवान थे।
तो जामबंद जी ने महराज उतनी ही देर में भगवान की साथ परिगमा कर ले।
जब जामबंद भगवान को हरा नहीं पाए तो आज
पीतांबर हट गया भगवान का तो आज पैचान लिया है।
भेगलता का चिनन को देखा पैचान गये अरे ये तो मेरे राम है।
मडी को दे दिया कहा,
हे राम जी आप कार करना होगा मडी के साथ
मेरी एक बेटी है जामबंद परम सुन्दरी है।
तो भगवान ने कहा ठीक है भगवान ने जामबंद जी का पाणडी ग्रहें कर लिया।
इसी प्रगाड़ से महराज,
भगवान मडी को लेकर आए राजा को दिया,
अब तो महराज राजा सत्राजित मन में सोचने लगा,
मैंने भगवान के पर कतने बढ़ा कलंक लगा दिया।
आज राजा सत्राजित गया,
भगवान के सर्णां परनाम किया,
कहा प्रभू मेरी एक बेटी है,
उसका नाम सत्यभामा है,
आप उसको स्विकार करें।
और महराज सत्यभामा के साथ मड़ी को देने लगे,
भगवान न मना कर दिया, मैं मड़ी को लूँगा नहीं।
तो आज भगवान का तीसरा विवा सत्यभामा के साथ हुआ है।
पोलिये सत्यभामा रमण भगवान की ज़य।
जय।
जय।
इसी प्रिकार्च भगवान के तीन विवा हो गए।
अवा महराज, पहला विवा रुकमरी जी के साथ,
दूसरा जामती जी के साथ,
तीसरा सत्यभामा जी के साथ हुआ है।
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