सारे शोक एक बोल पे पूगा वै सहरी माँ, मन्ने सुत्ती ने वो कद भी ना ठा वै सहरी माँ, असकी मिठी बतते हो वै शुरुवात सवेरे की,
रिमाए बाते नारी सहरी जमाई दे रे की,
आयले के सोने के कंगने के,
ल नलाख्यारी,
जमक्या की जोडी भी ले के आया सैवोचारी,
आयले के सोने के कंगने के,
ल नलाख्यारी,
जमक्या की जोडी भी ले के आया सैवोचारी,
लिल्या वैसे चले पिक दे पुछ है पिड़े की,
रिमाए बाते नारी सहरी जमाई दे एकी,
रिमाए बाते नारी सहरी जमाई देरे की
भागत दिल्ली कदे हिसार कदे रोतक वमने घुबा वैसे
हाई जानत प्यारी रखे मारी ठाटे लाड लडा वैसे
नवीन को लाडा लिखे मैं कविताई पहरे की
रिमाए बाते नारी सहरी जमाई देरे की
पोटो दिल्ल मैं सजा कह रखूँ
बिल्ली कदे हिसार कदे रोतक वमने घुबा वैसे
नवीन को लाडा लडा लडा वैसे