राते, उनमें बाते, तुमसे ही सारी होती यहाँ
हस्ते, हस्ते रोती, आखों की तुम ही तो हो बजा
काली, काली रातों में
तुम नई सी हो सुभाच
जैसे मैं हूँ, हालातों में तुम हो चासिबातों में
हम हैं, इन रातों में कैंद कैंद कैंद
जैसे मैं हूँ, हालातों में तुम
जजबातों में हम हैं इन रातों में कैन कैन कैन
मालंग मलंग मैं तूरे नेन में मोहे अपनी सुद्बुद नहीं खोके जैन मैं
मालंग मलंग मैं तूरे नेन में मोहे अपनी सुद्बुद नहीं खोके जैन मैं
तुमसे मिलके हारे कैसे ना कोई देखो यहाँ
तेरे खाबों में ही ये राते पिगले और हो सुभाई
खाली खाली खाली
खाली खाली रातों में
जिसमें हूँ हालातों में तुम हो जदबतों में हुँ है इन रातों में कैद कैद कैद
जिसमें हुँ हालातों में तुम हो जदबतों में हुँ है इन रातों में कैद कैद कैद
मलंग मलंग मैं तूरे नेन में मोहे अपनी सुध मुद नहीं खोके जैन मैं
मलंग मलंग मैं तूरे नेन में मोहे अपनी सुध मुद नहीं खोके जैन मैं
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