मदोरिया कमाजा बुझालाअप जेल बीच जिया घाबरालारहम दोरिया कमाजा बुझालाअप जेल बीच जिया घाबरालाअप जेल बीच जिया घाबरालाजवन हथवा मैं पान होती रोहनी घोरीमैं लागगो इलबावे हाथपोरीहाथपोरी आस हाथवा दुखाताअब तो जेल बीच जिया घाबरालाजोब घरवास आवे मुलकाती देखा का भात जाता हमरो ओ छातीअब तो खिरकी से बात ना सुनाताअब तो जेल बीच जिया घाबरालारोटी मिल तावे हवा हो काचा दाल मिल तावे हवा हो पानीअब तो भानसा का रोटी ना घोटाताअब तो जेल बीच जिया घाबराला