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Bài hát jai laxmi mata do ca sĩ Rakesh Kala thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat jai laxmi mata - Rakesh Kala ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Jai Laxmi Mata chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Jai Laxmi Mata

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

माता लाख्षमी जी की सुनाएं,
बघतों महिमा बड़ी महान।
माता लग्षमी जी की सुनाएं,बघतों महिमा बढ़ीमाअ।
जो कोई गाथा सुने परेम�ların से माता करती है कल्यान।
जो कोई गाथा सुने परेम ل Binji Middallin S黨 से माता करती है क्ल्यान।
हरे विशनोह कि पतनी लख्षमी माघेलती है
कमल सदस्यक के वणमे मा इल वासता है
मा कमल सदस्यक के वणमे म्ये वासथ्या हाती है
जब जब विश्नूले अवतारा लीला संग रचाती हैं
लीला संग रचाती है लीला संग रचाती है
भीना लक्ष्मी काम चलेन शीष जुकाते हैं भगवान
भीना लक्ष्मी काम चलेन शीष जुकाते हैं भगवान
जो कोई गाता सुने प्रेम से माता करती है कल्यान
माता करती है कल्यान
माता लक्ष्मी जी की सुनाए भगतों महिमा बड़ी महान
लक्ष्मी मा की एक कथा में ये भी बात बताई है
रिशी भिगो की पोत्री है ये यू सुनने में आई है
भिगो की पोत्री नाम लक्ष्मी तीना लाक कहाई है
नारायन की
महिमा सुनी तो प्रिती खास लगाई है
प्रिती खास लगाई है
गुणप्रभाव का वर्नन दीने करने लगी थी नित गुणगाओ
कोई गाथा सुने प्रेम से माता करती है कल्याण
माता करती है कल्याण
माता लक्ष्मी जी की सुनाए भगतो महिमा बड़ी महान
गाथा सुने प्रेम से माता करती है कल्यान
सागर तट पर करें तपस्या विश्णू को पति पाऊं मैं
तप गोर किया है और नहीं कुछ चाहूं मैं
और नहीं कुछ चाहूं मैं
विश्णू रूप में आए इंद्र तो बोले वर दे जाओं मैं
लख्ष्मी मां से लज़ित हो गए सत्य बात बतलाओं मैं
सत्य बात बतलाओं मैं
विश्णू नहीं ये देवराज है लख्ष्मी मां ने लिया पहचान
जो कोई गाथा सुने प्रेम से माता करती है कल्यान
माता लख्ष्मी जी की सुनाए भगतों महिमा बड़ी महान
जो कोई गाथा सुने प्रेम से माता करती है कल्यान
तप से परसन होकर भग्मन विश्णू आप पधारे थे
धर्शन देके किया किरतारत मन के काज सवारे थे
जो चाहो वो वर मांगो यूप भरीन वचन उचारे थे
पती रूप में आपको पाउं ऐसे वचन धारे थे
पूरन
इच्छा की विश्णू ने जाने सारा जगत जहाँ
जो कोई गाथा सुने प्रेम से माता करती है कल्याण
माता लख्षमी जी की सुनाए भगतों महिमा बड़ी महान
एक छोटी सी और कथा है जिसको सुनके कट ते पाउं
लख्षमी माता किरप करेंगी चाहो तो अजमालो आप
चाहो तो अजमालो आप
महरीशी दुर्वासा जी का चाहू दिशा में था परताप
एक मनोहर वन में पहुँचे गूमते करते करते जाप
गूमते करते करते जाप
वन में देखी एक सुंदरी सुंदर्ता का नहीं अनुमाओं
जो कोई गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्यां
माता करती है कल्यां
माता लक्षमी जी की
सुनाए आओ गाता बड़ी महान
माता करती है कल्यान
देव्य पुष्पों की एक माला
सुन्दरी ने दी ततकाल
दुर्वासाने उस माला को
अपने मस्तक लिया धडाल
लगे धरापर भरबड करने मन अपने में करके ख्याल
आगे आते इंद्र मिल गए धर्शन करके भय निहाल
धर्शन करके भय निहाल
जो कोई गाता पेम से सुनता माता करती है कल्यान
इंद्र ने वो माला अपने एरावत को पहनाई थी
से एरावतन धर्ती पर वो गिराई थी
धर्ती पर वो गिराई की
पहरो तले वो माला राउगी की हो गयी उसकी बरबादी
दुरवासा को आया क्रोध था आक से जौला बरसा दी
आक से जौला बरसा दी
निर्धनता का शाप दिया था जिस पे इंद्र हुआ है राम
जो कोई गाथा प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
माता
लक्षमी जी की सुनाए भगतों गाथा बड़ी महान
माता करती है कल्यान
अब तो देवलोक पे देत अपना जोर जमा बैठे
असुरों से दुखी होके देवता अपना आप छिपा बैठे
अपना आप छिपा बैठे
ब्रह्मा जी की सलास से सारे विश्णू शरंड में जा बैठे
सागर मन्धन कर लो सभी तुम विश्णू यतन बता बैठे
विश्णू यतन बता बैठे
देत देवता
लगे थे मतने विश्णू जी आग्या
कोले मान
ह्यां
जो कोई मान प्रेम मान
मंद्रा चलकी बनी थी मतनी रहे देवता सभी निहार
नागवास की रसी बने ते रसी बिना ना बेडा पार
परूप बना कर विश्णू मंद्रा चलका बने आधार
सागर मन्धन लगा था ओने अच्रज सबको हुआ आपार
अच्रज सबको हुआ आपार
निकले बहुत से अमुल पदारक देख देख सब हुए है राउं
जो कोई गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्याउं
लक्षमी जी की सुनाए
पावन गाता बड़ी महाँ
जो कोई गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्याउं
सागर से लक्षमी मा निकली विश्णू जी में श्रधा आपार
शिरी हरी को पती बनाया वनमाला दी गले में डार
वनमाला दी गले में डार
देबताओं पे द्रिष्टी कर दी होने लगी थी जै जै कार
इंद्र कभी फिर शाप उतर गया शीश जुकाते बारंबार
शीश जुकाते बारंबार
महलक्षमी की किरपा से जीवन हो गया ता सुक की खान
जो कोई गा था प्रेम से सुनते उनका हो जाता कल्याउं
माता करती है कल्याउं
माता
लक्षमी जी की सुनाए पावन गाथा बड़ी महान जो
कोई गाथा प्रेम से सुनता माता करती है कल्याउं
व्रेदि स्वरुपा लक्षमी मा को तीन
लोक ही कर परणाम
देवी मा का
वैकुंठ में महलक्षमी हो जाता है नाम
राजभवन में राजलक्षमी पूरण करती सिद्ध काम
स्वर्ग लक्षमी स्वर्ग लोक में नाम जपें सब आठोयां
नाम जपें सब आठोयां
ग्रहस्ती के घर गरहें लक्षमी माता रहती विराजमां
जो कोई गाथा प्रेम से सुन ता हूँका हो जाता कल्यान
शंख कि dhwani जिस धर न हो लक्ष्मी वास नही होता
उस धर लक्ष्मी नही रहा जहां तुल्सि निवास नही ओता
जहां तुलस निवास नहीं होता
शंकर पूजा जिस घर नहों वहां उल्लास नहीं होता
ब्रामन को जहां भोजन नहों वहां प्रकाश नहीं होता
जोह भगतों की
निन्दा होती लख्षमी वास बहाना जान
जो कोई गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
माता
लख्षमी जी की सुनाए पावन गाता बड़ी महान
जो कोई गाता प्रेम से सुनता उनका हो जाता कल्यान
विश्णू पूजा जहां नहीं हो लख्षमी भी चल देती है
पापी और कुकर्मी को तो लख्षमी ना बल देती है
लख्षमी ना बल देती है
एकदशी को जो अन खाए
उसे नहीं फल देती है
जहां अतिती को ना भोजन कर ही निरबल देती
Consummation
फ्रप्त खुनक गावच्र �涂 जेरविश्णू पापी को ना देता
पापी को ना देते मान
जो भी गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
माता लक्षमी जी की
सुनाए पावन गाता बड़ी महान
जो कोई गाता प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
जो कन्या के पैसे लेले करे
लक्षमी उसका त्यान
जो पूजा ना पाथ करे उसके नहीं फिर जागते भाग
उसके नहीं फिर जागते भाग
दिन में सोता जो भी प्राणि वहां से लक्षमी जाती भाग
उन से जो धर्ति कुरे दे वहाँ लक्षमी का नाराग
विश्णू चर्चा जहां न होती मुश्किल होता है गुजराण
जो कोई गाथा प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
माता
लक्षमी जी की सुनाए पावन गाथा बड़ी महान
माता करती है कल्यान
शालि ग्राम जी जिस घर रहते वहाँ लक्षमी आती है
दुर्गा पूजन जिस घर होता मा किरपा बरसाती है
पवित्र किरतन जिस घर होता विगडे काज बनाती है
गुरु करण सिंग माता लक्षमी भाग्य को चमकाती है
कमल सिंग करो लक्षमी पूजन सदा लक्षमी रहे विद्यमान
जो कोई
गाथा प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान
माता
लक्षमी जी की सुनाए पावन गाता बड़े महान
जो कोई गाथा प्रेम से सुनता माता करती है कल्यान

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