आन पधारो हे मालक्ष्मी मेरे भी परिवार में
थाल सजाई बैठी हैं हम मय्या के इंतजार में
आन पधारो हे
मालक्ष्मी मेरे भी
परिवार में
जैहो जैहो लक्ष्मी माँ
जैहो जैहो लक्ष्मी माँ
गंगा जल से किया है पावन घर का हर कोना कोना
तेरी दया से माटे भीमा हो जाती चान्दी सोना
तेरी छबी मा दिल में बसी है मगन तेरी जैकार
में आन पधारो हे मालक्ष्मी मेरे भी परिवार में
जैहो जैहो लक्ष्मी माँ
जैहो जैहो लक्ष्मी माँ
जैहो जैहो लक्ष्मी माँ जैहो जैहो लक्ष्मी माँ