ए बबुआ जी उठी उठी चली देर होता छटी घाटे चले के बाई
धप का सुतलाम परसान करतरू
मैं महला के लोग जात बाड़े चली चली भोर हो गईल बाई रात नहीं खेड़
अच्छा जातरो तर जा
इद दवुरवा लेके के जाई
होई गाईल भोर देखाया अपनाई के रात हो
जागा हो दिवारो चले के छटी घाट हो
होई गाईल भोर देखाया अपनाई के रात हो
जागा हो दिवारो चले के छटी घाट हो
होई देखाईल नहीं खेड़
सब तयार हो गईल बाड़
बाबी जी भी तयार हो गईल बाड़ी
अम्मा जी भी तयार हो गईल बाड़ी
तो ठीक न बाद
खाली रऊवे इन्तिजार बाद
बैतानी सुते दाना
तुलोग चले न
वैसा निंकर नीद बा कि खाली तूट ते नईखे
एइ जागो न
अम्म कहता नी न
अमके नीद लगता सुते दा
तू सुत बा तहाई बहंगी दवरा लेकिए के जाईगी
बबुआ जी चोनह ढेर मत करे
बुज़ले
वैसा निंकर नीद बा कि
हाली नाइखे ले
हाली नाएं
हाली नाई तूट ले
यहता ना बोलूअ
लौप बो
अंफ़ बोवनाँही उठे ले
आँफ़ बोवनाने ही उठे ले
यहता न द कर
आँफ़ बो chewy
हाली नाइखे तूट ले
आँफ़ बोवनाने ही उठे ले
तूट ले
यहता न द कर
आँफ़ बोवनाने ही उठे ले
रिखा टानिया
तूट पर फ़व कर
जाएगा
जिन्दि नहांके
तैयार हो जाएगा
पियरी का पघड़ी बांधली
उठे न चली न
उठे न
पियरी का पघड़ी बांधली
बांधली
तूट ले
यहता न द कर
आँफ़ बिले जाएगा
अरे नाने के द
ग्ल हाः है चेछाजाए
चली न
एे बब्बाजी
चली लेके दौडा किरपा
करिहे छटी माई
करिहे छटी माई
दुला ही शुखार
जोै कोर करवा
गाउ गीद बार करक況
काउ गीद
जर्ध करण
संग्राख
जर्ध करन
संग्राख
जर्ध करण
संग्राफ
जर्ध करन
संग्राफ
जर्ध करन
संग्राफ
संग्राफ
संग्राफ
संग्राफ
संगराफ
संग्राफ
संग्राफ
जर्धकरण
संग्राफ
जर्ध राफ
।