अरत बड़ी परसानी में भी है
कहती है कि ए राजा जी जब से रुवा बाहरा कोई बनी
मन राउर घरे लागत नहीं खे
आ फिर का है
बुझात बाकी रुवा ने कोई टावर मिल गईबा
असुनली जबले बात होई
हमार बात मानेम ना तले मुलकात होई ना
कहती है कईसे
जबले मन बोना
हमार दूबात बोलो
तोबले होई ना हमसे मुलकात बोलो
जबले मन बोना
हमार दूबात बोलो
जबले मन बोना
हमसे मुलकात बोलो
हमार दूबात बोलो
तो बले होईना हमसे मुलाकात बोलामो
तो बले होईना हमसे मुलाकात बोलामो
तो बले होईना हमसे मुलाकात बोलामो
जब ले छुड़बो ना, जब ले छुड़बो ना, जब ले छुड़बो ना, वोपर तु साथी बलामो
तो बले होईना हमसे मुलाकात बोलामो
तो बले होईना हमसे मुलाकात बोलामो
आजले बिया भैल बिया के सुख ना जनने
साधी कोके घरे बैठाके चल गईलो
आजले ससुरा के सुख ना बुझने
बड़ी दूख में बा
इजिनिगी दूख में कटता
गोबो न जनने हम ससुरा के सुखावा
देहिसे गोबो न उतरो ता दुखावा
गोबो न उतरो ता दुखावा
जब लिखहि बहतु
जब लिखहि बहतु
जब लिखहि बहतु
जाके बासी भात बलोमू
आहा भात बलोमू
आहा भात बलोमू
तो बले होईना हुमसे मलागांत बलामु
जबले मन बोना हैं अरे तो बलामु
तो बले होईना हुमसे मलागांत बलामु
तुम ले होईना हमसे मुलाकात मुलावो
तुम ले होईना हमसे मुलावो
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