दिल को समझाएंगे
दिल को मनाएंगे
पर अब किसी से हम
ना दिल लगाएंगे
दिल को समझाएंगे
दिल को मनाएंगे
पर अब
किसी से हम ना दिल
लगाएंगे
इसमें चैनों सुकों दिन रात खोता है
जब तूटता है दिल
बहुत ही दर्द होता है
खुद भी भरूसा
हम कर लेंगे
हम तनहाई में जी लेंगे
ब्यार मुहापत की ये बाते
तो खुद से ही कर लेंगे
भला गम को कोई क्यूँ ढोटा है
जब तूटता है दिल
बहत ही दर्द होता है
दूटता है दिल
बहत ही दर्द होता है
अब
ना गलती दुबारा करेंगे
खुद से ही आही भरेंगे
दिल की बाते दिल में ही
हम तो यब यूँ ही कर लेंगे
इस आलम में कोई हसता है न रोता है
जब तूटता है दिल
बहत ही
दर्द होता है