तू कह मन की पीड़ पछाने
तू कह दिल के दर्द न जाने
तू केँ मन की पीड़ पछाने
थुद के छोट लगेगी तब इतबार हो जागा
जब प्यार हो जागा,
तंधेरा पढ़तेगा,
जब प्यार हो जागा
आज हवा मैं तू उडले उडले,
अंबर खुले मैं तू मुढले तू उडले
जब प्यार हो जागा
जब प्यार हो जागा
दिन कटता नहारत कटेसे,
बंध कमरे मैं
सोस घटेसे,
दिन कटता नहारत कटेसे
जब अपने खंजर ते खुद का शिकार हो जागा,
तनधेरा पढ़तेगा,
जब प्यार हो जागा,
तन्धेरा पढ़तेगा,
जब प्यार हो जागा
जखम खुले पे हवा है जो लगती
याद फेरे अपने आसू चुगती
जखम खुले पे हवा है जो लगती
याद फेरे अपने आसू चुगती
जिस दिन उस मंजर का तने दीदार हो जागा
जब प्यार खो जागा न�mieत मेरे धील चुछे धर हों जागा
तयार हो जगाए
तयार हो जगाए
तयार हो जगाए
इन आख्यां में इब सपना नहीं से
अपना पोई जब अपनों
नहीं से
का जिवराथी जब बेरी संसार हो जगा
तन बेरा
पाटेगा जब प्यार हो जगा
तन बेरा पाटेगा जब प्यार हो जगा