Nhạc sĩ: Laxmikant Pyarelal, Anand Bakshi
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जब हूँ तूपे कथाई आई, मन तरपार आँ भर आई।एक समय कोरव पांडव में ऐसा युथ घमसान हुआ।धरती खूण में दूब गई और अंदर लहू लुहान हुआ।हार लगी होने।पांडव की कोरव चल गए ऐसी चार।दुरुणाचार्य ने विछा दिया रुण भूमी में चक्रव्यू का जार।ऐसी भयानक भूही लाग।बीलकर खुले मच्तर पांचुत।लागे जंपित्र खुर्चर के प्रधर॥आधार गंधु खिरोक.लेखिन तक्तित्र第一 कर बात्तर कर।दुरुणाचार्य ने भूमी में जार।काण जंपित्र क्रण लुहान हुआ।फिश्य सम्झ Lena tears him.युद्ध के लिए किया माताने फिर अभ्युमन्यू को तैयारलक्क लगाके शस्त्र सजाके गले लगाके हैं आखरी बारजन्धासा से निकजा चक्राया शत्रू की फोजों सेखोतासा माधी ना घबराया तू पानी माधों सेऐसी भयालक फुली लडाईमात बद्दालगाके शस्त्र सजाके गले लगाके हैं आखरी बारजन्धासा से निकजा चक्राया तू पानी माधी ना घबराया तू पानी माधी लडाई