जब हवस घायल करे
मुझे को नजर के तीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
हाई मुझे
आउरत की
किस्मत क्या बताओ क्या कहो
आत ताहर ने
शहरक बाग भे शमशीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
और जब तैजाब से जुलसा दिया जाए से
हर किसी को खोफ लाता
है तिरी तस्नेर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे
तकदीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
सारे रिश्टे मुझे को इबरत नाक देते है सजा
दिलगीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा
कातिबे तकदीर से
घयर छुन देते हैं इसको जीत जीत दीवार में
अपने घयरत में जगड़ते हैं इसे जंजीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
जब
हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
उम्र भर खिदमत करे पर फिर भी हो जाती है ये
घर से बाहर तीन लफ़जों की अगत तहडीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से
है रजा मर्दों से इसका है फकत एक ये सवाँ
है
रजा मर्दों से इसका है फकत एक ये सवाँ
कद से दुनिया
में जीवूँगे
एज़तों तोकीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे
तकदीर से
उस घड़ी करती है शिक्वा कातिबे तकदीर से
जब हवस घायल करे मुझे को नजर के तीर से