जब चाहिए
जब चाहिए तिजारत हो
तो मोहबत का क्या मौल हो
सरजुके जो हस्रतों के लिए
तो इबादत का क्या मौल हो
नजाने वो कैसा दार था
जब पीरो पेहंबर इनजील हुए
जब वो फितरत ही बाखी नहीं
जब वो फितरत ही बाखी नहीं
तो इनायत का क्या मौल हो सरजुके जो हस्रतों के लिए
तो इबादत का क्या मौल हो जब चाहते ही तिजारत हो
तसवुर में जब शिद्धत की कमी मर मिटना वरम के सिवा कुछ नहीं
जहने मुकदस में जो पले
जहने मुकदस में जो पले
जजबातों का क्या मौल हो सरजुके जो हस्रतों के लिए
तो इबादत का क्या मौल हो जब चाहते ही तिजारत हो
जब रिसालतों के दर्पन में
पावंदियों की परच्छाई जलके जब रिसालतों के दर्पन में
पावंदियों की परच्छाई जलके
जब बन्दे से हो बन्दगी अजीज तो पुद्रत का क्या मौल हो
सरजुके जो हस्रतों के लिए तो इबादत का क्या मौल हो
जब चाहते ही तिजारत हो जब चाहते ही तिजारत हो
तो मौभबत का क्या मौल हो सरजुके जो हस्रतों
के लिए तो इबादत का क्या मौल हो जब चाहते
ही तिजारत हो