उजड़े हुए चमन को
खिलाया है भीमुने
गोतम का हमें धर्म दिलाया है भीमुने
हम धोर अंधकार में वर्सों पड़े हुए थे
ज़िनान में चराख जलाया है भीमुने
दुल्मों सितम
धाने
वालों के चेहरें पड़ी गए तालें
जब आएं दलितों के रखवालें
जब आएं दलितों के रखवालें
जब आएं दलितों के रखवालें
गमो की धूप थी गरीबी थी
हम सब की ये बदनसीबी थी
गमो की धूप थी गरीबी थी
हम सब की ये बदनसीबी थी
रझो गम के हजारों मारें थे
जीना और जिन्दगी से हारें थे
ऐसा एक लाल पैदा हो गया
जमाना जिस पे शैदा हो गया
मिल गया हमको एक ऐसा रहवर
नाम था जिसका भी मुअं बेड़ कर
हम दलितों
हम दलितों के सर पर से हट गए बादल कालें
जब आएं दलितों के रखवालें
आएं दलितों के रखवालें
जब आएं
दलितों के रखवालें
पढ़ी लिख कर चे बेहरी सर बने जब
काई देख पंडितां बेड़ कर बने जब पढ़ी लिख कर के बेहरी सर बने जब
देश के नेटा मानने लगे सब भीम को मेरे जानने लगे सब
लिखा समिधान भीम ने ऐसा पाया सन्मान भीम ने ऐसा
बताऊं देश में कोई ऐसा हुआ क्या कोई मेरे भीम जैसा
ज्यानी पंडित
ज्यानी पंडित कहने लगे सब बाबा तुम हो निराले
जब आएं दलितों के रखवाले
जब आएं दलितों के रखवाले
अपना अधिकार वो पाने के लिए
हक दलितों का दिलाने के लिए
अपना अधिकार वो पाने के लिए
हक दलितों का दिलाने के लिए
जंगे मैदान में खड़े होकर
भंग दौलत को मार कर थोकर
किया एलान भी मुझे मेरे डालो ना कोई भी मुझे पर दोरे
हक अपना मैं लेकर ही रहुंगा नहीं तो जान अपनी दे दूँगा
नो कलम की ऐसी चलाई जैसे परिछी भाले
जब आए दलितों के रखवाले
जब आए
दलितों के रखवाले
दाग चुती का मिताया भी मुझे हमको इनसान बनाया भी मुझे
दिक्षा गौतम की दिलाया भी मुझे धर्म मानों का सिखाया भी मुझे
मनूस्मती को जलाया भी मुझे पानी चओदार का पिया भी मुझे
जान गांधी की पचाया भी मुझे काम अनोखे ये किया भी मुझे
नाशित धाम के कालेराम के पल में खुल गए खालें जब आएं दलितों के रखवालें
जुल्मों सितम
ढाने वालों के शेहरें पड़ी गए खालें
जब आएं दलितों के रखवालें
जब आएं दलितों के रखवालें