डर सा गया हूँ, मरने लगा हूँ
तेरी हसी के लिए तरस गया हूँ
दिन में अंधेरे, रात में सवेरे
तेरी खुशी के लिए कर रहा हूँ
दिन हो रहा है, आँख लग रही है
काबों में तुछको ही देख रहा हूँ
रात मेरी रात, मेरी रात, मेरी रात अब कहाँ है
जब मैं रुद गई अभी तो जाना पाँगी
ड्हाई बज़ गए हैं,
बाय तुम न बोलो
बात कुछ नहीं है तो कुछ भी बोलो
बोल बोल के तुम अगर ठक गई हो
खामोशी में भी कुछ कह रही हो
दिन हो गया फिर जाता रहा मैं खुश तो बोत हूँ के
तुम यही हो
जान मेरी जान, मेरी जान,
मेरी जान अब कहाँ है
मेरी बात, मेरी बात, मेरी बात अब कहाँ है
दिन यिंदे, अब कहाँ है
मेरी रात मेरी रात अब कहां है