से तरहार से यानि और स्मर्भात है,
तो से परवारण के सामभूव माछना है
परवारा परवारा
इश्क दे महप में गिया मैं एक दिन अगो इश्क ने मेरी बढ़याई ठग लई
मैं गिया थी इश्क तो दाध ले रहे अगो इश्क ने मेरी दनाई ठग लई
एस इश्क ने बड़े भड़े ठग ले कारू बादशा दी बादशाई ठग ले
तै की ठग या आशक दारा एस इश्क ने खुदादी खुदाई ठग ले
यार इश्क दे नाल ना बैठी यार बढ़ा के लुख लेडा
यार इश्क दे नाल ना बैठी यार बढ़ा के लुख लेडा
यार इश्क दे नाल ना बैठी
यार बढ़ा के लुख लेडा
इश्क दे नाल ना बैठी
यार बढ़ा के लुख लेडा
इश्क दी रीत है तारे जग तो जुदा
नाल!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ज़िजिकी लक्षिया!