अहम
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार बिन सोचे हो जाता है
ज्यादा सोच समझदारी से कहा कौन क्या पाता है
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार बिन सोचे हो जाता है
यूँ तो समझ भी वक्त आने पे यही धरी रह जाती है
धार के ढाई बोल जो पढ़ी ले
वो अमीर हो जाता है
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार बिन सोचे हो जाता है
श्यादा सोच समझदारी से
श्यादा सोच समझदारी से
कहा कौन क्या पाता है
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार
बिन सोचे हो जाता है
दूब गए इस रसमे जो
पोँच गए वो किनारे पे
दूब गए इस
रसमे जो
पोँच गए किनारे पे
चक लिया है
जिसने इसको वो अमृत ठुकराता है
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार बिन सोचे हो जाता है
ज्यादा सोच समझदारी से
ज्यादा सोच समझदारी से
कहा कुन क्या पाता है
इश्क, महुबत, प्यार, व्यार
बिन सोचे हो जाता है
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