हैं उमर का तकाजा या है आशकी
नींद क्यूँ रात में मुझ को आती नहीं
हैं ।।।।॥॥॥्लाchest
नीद क्यूँ रात में मुझ को।।।।।।όती नहीं
जूरियां जीजम पे अबं तोघ दिखने लगी
दिल से लेकिन जवानी तो जाती नहीं
आए नाराहत
पर बैटे चाहत
अन्धी गली है है जो महवबत
जो जाता वो इसमें खो जाता है
इश्क हो जाता है
इश्क हो जाता है
है इश्क हो जाता है
है
है
है
है
प्ली तुमसे नजरे ऐसा लगा के उमर अपनी घटने लगी है
ऐसी खुशी जो बनके हसीना बदन से लिपटने लगी है
बात करते थे कम लबस जाते थे जम जैसे थे वैसे हम लगता रहते हर दम
अगर ये कयामत जवाती नहीं
ना जाने कैसे बदला सब ऐसे
महभूब मेरा लगता है जैसे
आके इस पहलू में सो जाता है
इश्क हो जाता है
इश्क हो जाता है
इश्क हो जाता है
इश्क हो जाता है
है उमर का तका जाया है आशिकी
नीद क्यों रात में मुझे को आती नहीं
जूरियां जीस्म पे अब तो दिखने लगी
दिल से लेकिन जबानी तो जाती नहीं
आए ना राहत
पर बैठे चाहत
अंधी गली है है जो महभबत
जो जाता वो इसमें खो जाता है
इश्क हो जाता है इश्क हो जाता है
इश्क हो जाता है
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