रूह को तेरी
तलब हर घड़ी रहने लगी
जाने क्यों तेरी तरफ
जंदगी वहने लगी
मेरे लम्हों में तेरा सर है
मेरे ख़ाबों में तेरा बसर है
मेरी रातों की तू ही सहर है
अई इश्के जााँ
मुझे पुरबत अपनी अताखर
कभी हो न जुदा ये दूआ कर
एइ इश्के जान
इख दिल में धड़कें दो दिल इतनी
गुण्जाईश कर ले
इतनी सी साजिष कर ले दुनिया से रंजिष कर ले
इक दिल में धड़कें दो दिल इतनी गुण्जाईश कर ले
मेरे लहजे में तेरी सदा है
मेरी आँखों में तेरा पता है
मैं तुझ में तु मुझ में छुपा है
एइ इश्के जान
मुझे पुरवत अपनी अता कर
जरा इश्क में अपने फना कर
कभी मुझ न जुदा ये दूआ कर एइ इश्के जान
आँखों पे आँखें रख दे
सासों पे सासें रख दे ओटों को
खामोशी दे जिसमों पे
बातें रख दे
मेरे लफ़जों की तू ही जुबा है मेरे सजदों में तू ही निहा है
मैं बदन तू बदन की जान है एइ इश्के जान
मुझ पुरबत अपनी अता कर जरा इश्क में अपने फना कर
कभी हूना जुदा ये दूआ कर एइ इश्के जान
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