मेरी चाहतों की जमीन पर
कभी ओस बन के विखर जरा
कभी मेरे रुख पे आके तू
अब साथो निखर जरा
कभी आके लबूं पे ठहर जरा
कभी धड़कनों में उतर जरा
कभी आके लबूं पे ठहर जरा
कभी धड़कनों में उतर जरा
जरा जरा सा निखार दे
जरा जरा सा सवार दे
दे खुशी बे इतहा इश्क भी बे शुमार दे
तू ही सहर तू ही शाम हो
मेरे दिल पे तेरा ही निजाम हो ये शुमार हो तेरे इश्क में
तेरे इश्क में बदनाम हो हर जगा तू दिखाई दे
बस तेरी सदा ही सुनाई दे
सारा रहे मुझ पे तेरा
ही भूत
ऐसी मार दे
रभ दे जब मुझे जिन्दगी यारी तेरी हर बार दे दे खुशी में इतहा
इश्क भी बे शुमार दे
रात सारी तेरी आगोश में जाया करूं
नींद से जागा करूं तुझे सामने पाया करूं
तू खुमारी अपनी सारी मेरे रुख पे भी खेर दे
मेरे चारों और चादर चाहतों की घेर दे
मेरे रुखे गेशों में बादलों को उतार दे
कभी आके लबों पे ठहर जरा
कभी धड़कनों में उतर जरा
कभी आके लबों पे ठहर जरा
कभी धड़कनों में उतर जरा
जरा जरा सा निखार दे जरा जरा सा सवार
दे दे खुशी में इतहा इश्क भी बेशुमार दे