इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदाद
जो करम मझपे मेरे
नभी ने किया
इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदाद
मैं सझाता तः सलसार की मैंगे पेले
मुझको घर घंसे रभने बरी कर दिया
इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदाद
सइयदि या रसूर लग, सैयदि या हभीब लग
सैयदि या रसूर लग, सैयदि या हभीब लग
जिकर सरकार की के बड़ी भर्कते
मिल गई रहते अजमते रफते
मैं गुनागार था भी अमल था मगर
मुस्तफाने मुझे जन्नते कर दिया
करम का करूँ शुक्र कैसे अदाद
सैयदि या रसूर लग, सैयदि या हभीब लग
सैदि या रसूर लग, सैयदि या हभीब लग
سید یا عبید اللہ
کیا یہ کم ہے کہ میرے خدا نے مجھے
اپنے میں قیبوب کا عمدی کر دیا
میں اس قرم کا کروں شکر کیسے عدا
سید یا رسول اللہ سید یا عبید اللہ
صدق جاون عزیم اللہ جبال کیے
ہر قدا کو صغیر نے صغیر کر دیا
فخور کو دعیم ہوجاتی tenim
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