इस देवता ने आज मेरा मन चुरा दिया
किस देवता ने आज मेरा मन चुरा दिया
दुनियां की खबर ना रही इस देवता ने
अनुग्रह जो कर दें और शांती से भर दें
अपना मननु समरक्षन करें वो संग।
बहुत सुंदर शब्द हैं ब्रह्मान।
रहता था सदा पास में लेकिन छिपा हुआ
सदा पास, बिल्कुल नजीक रहता था ब्रह्मानं जी कहे
लेकिन छिपा हुआ
रहता था सदा पास में लेकिन छिपा हुआ
रहता था सदा पास में लेकिन छिपा हुआ
करके दयाल ने परदा हता लिया
इस देन आई आई
मेरा मन चुडा लिया
इस देन आई आई
करके कुसूर माफ मेरे जनम जनम के
ब मानन्द जी कहते हैं
करके कुसूर माफ मेरे जनम जनम के
और ब मानन्द मुझे बुला कर चर्णों में लगा लिया
मेरे यतो कोई क्षमता नहीं थी बुर्मानन्द कहते हैं
जनम जनम के मेरे कुसूरों को ख्षमा करके
सामने से बुला कर बुर्मानन्द मुझे बुला कर चर्णों में लगा लिया
किस देवता भी आज मेरा मन चुरा लिया
किस देवता भी आज मेरा मन चुरा लिया
किस देवता भी आज मेरा मन चुरा लिया
जाने कै जादू भरा हुआ? à
भगमान तुमारी हुः ताने
जाने कै जादूभ्रा हुआ? à
भगमान तुमारी हुःताने
जाने कै जादू भरा हुआ? à
भगमान तुमारी हुःता...
जाने कै जादूभ्रा हुआ? à
भगमान तुमारी हुःता cannot�� लिए शान।
먼저 मेरा हरा हुआ,
मन चमन मेरा हरा हुआ,
साब गईये, इयाण भाई बाईनों तो खास गाये...
मारी प्रार्थना...
जाओ...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
भगमान तुमारी हुःता...
में जाने कै जादूभ्रा हुआ?
भगमान तुमारी हुःता...
में जाने कै जादूभ्रा हुआ?
भगमान तुमारी हुःता...
जब शोक मोह से घिर जाए...
तब गीता बचन रदै लाए...
तब गीता बचन रदै लाए...
जब शोक मोह से घिर जाए...
तब गीता बचन रदै लाए...
सारा भव सागर तरा हुआ...
सारा भव सागर तरा हुआ...
भग्मान तुमारी हुःता मैं...
जाने क्या जादू भरा हुआ...
भगमान तुमारी हुःता मैं...
जाने क्या ஜादू भरा हुआ...
ये शक्ती है भारत की गुता की
भारत के शास्त्रों की एक ग्रंथ नहीं है
प्रभु का रूप है
गीता संतों को प्यारी है...
गीता संतों को प्यारी है...
शुरूति धर्म के अनुसारी है...
जुग जुग का एनुभव जुड़ा हुआ...
भगवान तुमारी गीता मैं जाने क्या जादू भरा हुआ...
भगवान तुमारी गीता मैं जाने क्या जादू भरा हुआ...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
भगवान तुमारी गीता मैं जाने क्या जादू भरा हुआ...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
कोई मुश्केली थी घेराओ, भले तमें वाचो नहीं, जारे तमने में लागे के हवे के उपाई सुथ तो नथी, गीता या रामायन को सीने पर लगा पर सो जाने...
कुछ पाओगे, जरूर पाओगे, कुछ उपाई मिलेगा, कुछ स्वस्थता मिलेगा...
कैने के लखनाराओ इश्वर रूप था, गीता तो स्वयं ब्रह्म की कही गई बात है, साक्षात ब्रह्म गोले है, तुमारा मन प्रसंद हो जाएगा, परफुलित हो जाएगा, शास्त्र के शक्ती है...
मन चमन हमारा हरा हुआ...
भगवान तुमारी ही आहे, जाने का जादू भरा हुआ, भगवान तुमारी ही आहे...
भगवान तुमारी ही आहे, भगवान तुमारी ही आहे...
भारत मा युआन भाई बेनों नी जोड़ी मा रामाये ने गीता हो आजून...
उरन गली, बड़ी दूर नगली, उरन गली, बड़ी दूर नगली...
भगवान से यदी पहुँचना हैं, तो ये सब सीडी हैं,
ने तर कितना ही प्रयास गरो, मालिक की नगली बड़ी दूर है...
दूर नगली, बड़ी दूर नगली, दूर नगली, बड़ी दूर नगली...
दूर नगली, बढ़ी दूर नगली, कैसे आओ रो रे कनाई, केरी गो कुल नगली, बडिदूर नगली...
दूर नगली, बढ़ी दूर नगली, कैसे आओ रे कनाई, केरी गो कुल नगली, बढ़ी दूर नगली...
दूर नगली, बढ़ी दूर नगली, कैसे आओ रे कनाई, केरी गो कुल नगली, बढ़ी दूर नगली...
जमना जल जाओ तो, कमर मोरी लचके, जमना जल जाओ तो, कमर मोरी लचके...
जलदी करूं तो, भीग जाओ सगरी, बढ़ी दूर नगली...
जलदी करूं तो, भीग जाओ सगری, बढ़ी दूर नगली...
कैसे आओ रे कनाई, केरी गो कुल नगली, बढ़ी दूर नगली...
बूर नगली, बढ़ी दूर नगली...
पियू बसे पहाड में, मैं जमना के पीर...
अब मिलना मुश्किल हुआ, मोरे पाओ पड़ी जंजी...
रात में जो जाओं तो, दर मोहे लागे, रात में जो जाओं तो, दर मोहे लागे...
रात में जो जाओं तो, दर मोहे लागे, रात में जो जाओं तो, दर मोहे लागे...
दीन में आओं तो, देखे सारी नगरी, बड़ी दूर नगरी...
दीन में आओं तो, देखे सारी नगरी, बड़ी दूर नगरी...
पूरा भजन अच्छा है, लेकिन ये पंक्ति का...
पंक्तिया अब जो मुझे बहुत प्री है, इसलिए गौर से सुने...
शाड वचारं, मधूर मलारं, बनी बहारं, जल धारं, बादूर डकारं,
मल पुकार, तड़िता तारं, बिस्तार, नालही संभारं, प्यास अपारं, नन्द कुमारं, निर्ख्यारी,
पह राधे प्यारी, मैं बनी हारी, गोकल याओ गिर्धारी, राधे प्यारी, मैं बनी हारी...
सखी संग आऊं तो शर्म मोहे लागे
सखी संग आऊं तो शर्म मोहे लागे
अकली आऊं तो भूल जाओ दगरी, बड़ी दूर नगरी
घिरे से चलूं तो देर बहुत लागे
जल्दी करूं तो छलक जाए गगरी, बड़ी दूर नगरी
कैसे आऊं रे कनहाई तेरी गोकुल नगरी, बड़ी दूर नगरी
दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी
रामायन गीता मारी अंतर याखो
हरी ये दिदी चे मने उड़वानी पांखो
रामकृष्ण रामकृष्ण रस नाम चारे
हरी नो आनंद मारे अंतर आवे
आँख मारी उगड़े क्या सिताराम देखो
आँख मारी उड़े क्या सिताराम देखो
धन्य मारु जीवन प्रिपाएनी लेको
धन्य मारु जीवन प्रिपाएनी लेको
भरामायान दिता मारी अंतर
भरामायान दिता मारी अंतर
हरी ये दिदी चे मने उदवानी पांखो
हरे भारतियों मां गवरव होँ जुईये
हमें रामकृष्णना संतानों चीज़ें