संगीत है शक्ती ईश्वर की हर स्वर में बसे है राम रागी जो सुनाए रागिनी रोगी को मिले आरामप्रीय वित्रों, भजन संध्या में आपका हार्दिक स्वागत हैआप सब जानते ही हैं कि भजन, धक्ति और संगीत के मिर्ष्वन का एक सुहामना सफर हैजब कोई भक्त अपने सरजन हार की स्तुति गाना शुरू करता हैतो चाहे वो घर में हो या जंगल मेंमंदिर का सा वातावर्ण एक पवित्र माहौन पैदा हो जाता हैऐसा लगने लगता है, मनो आसपास की हर चीज उसकी आवाज में आवाज मिला रही हैउसके संगीत की लहरों पर हवाएं जूमने लगती हैंऔर आँखों के सामने अंगिनत द्रिश्य घूम जाते हैंजिन में कहीं कृष्ण की वंशी पर गौलने नृत्य करती नदर आती हैंतो कहीं विरह की मारी मीरा के दिल की फर्यादें सुनाई देती हैंतुलसी के छंद हों या कभीर के दोहेमीरा की वाणी हों या सूरदास की पंक्थियांभजन गाने वालों ने इन अकशरों और शब्दों मेंअपनी अंतरात्मा की आवास तलाश कर लिये हैंअनूब जलोटा अपने पिताश्री पुरुशोत्तम दास जलोटाजो भारत के भजन समराट के नाम से पहचाने जाते हैंउनहीं के शिश्य हैंअनूब के गले में जो मिठास है उनके सुर में जो रस हैउससे सुनकर आप यही मैसूस करेंगेकि प्रकृति ने अपने कामों के लिए बाद लोगों को ऐसी शक्तियांऔर प्रतिभाएं दी हैं जो केवल प्रयास से प्रात्त नहीं हो सकती हैतो आईए अब हम आज के कलाकार अनूब जलोटा से भजन सुनते हैं