मर्हवा मर्हवा या हुसैन
मर्हवा मर्हवा मर्हवा या हुसैन
मर्हवा जहां में रहमते लेकर हुसैन इबने अलिया के
जहां में
नहीं जिनका कोई हमसर नहीं जिनका कोई हमसर हुसैन बने अली आए
जहाँ में रहमते लेकर हुसैन बने अली आए
जहाँ में रहमते लेकर हुसैन बने अली आए
थापित रसनाम जिसके पर
खुदाने
थे जला डाले
जिसे थे देख कर
इपदात पकड़ते
आसमा वाले
उसी पेपर को देने पर
उसी पेपर को देने पर
हुसैन बने
अली आए
जहाँ में रहमते लेकर हुसैन बने अली आए
जहाँ में रहमते लेकर हुसैन बने अली आए
खुदा जिन पे है नाजा
जिन पे है नाजा
जिन पे है नाजा
वो दुनिया में आए हैं
हुए कोणों मकाँ में हर तरब
रहमत के साए हैं
हुए मस्रूर है सर्वर
हुए मस्रूर है सर्वर
हुसैने बने अलि आए
जहाँ में धर्मते लेकर
हुसैने बने अलि आए
जहाँ में धर्मते लेकर
हुसैने बने अलि आए
अलि उसैना
अदा के घर में आया है नगी ऐसा कसम जजदा के दुनिया में नहीं कोई हसी ऐसा
सरापा नूर के पैकल हुसैन बने अली आये
जहाँ ने रहमते लेकर हुसैन बने अली आये
जहाँ ने रहमते लेकर हुसैन बने अली आये
जहाँ ने रहमते लेकर हुसैन बने अली आये
रहमते लेकर या हुसैन अजावुष्टै
सनाखा हूँ में पंजेतन का हिसाबे कब क्या लेंगे
फरेष्टे लेहेद में आकर यही मुझको निदा देंगे
उठा खुरिशीत अपना सर उठा खुरिशीत अपना सर
हुसैन बने अली आए
जाने
रहमते लेकर हुसैन बने अली आए
जाने
रहमते लेकर हुसैन बने अली आए