उगते सूरज की किर्णे करती रोशन जगों जैसे
दर का अंधेराहे मिट जाएगा मन से ही वैसे
सारी
मायों सी छोर दे
देखरे सपनों को जोड ले
गम है थोड़ी सी उदास है
फिर भी जीने की आस है
नस कुछ तिन की ये बात है
मन में अब ये विश्वास है
हम सब एक है धर्दे ही सेफ है
मुश्किलों का कोई हल मिल ही जाएगा
मेरंग होई दुनिया का छेहरा खिल जाएगा
लोकेगी हर कुशी तोर घंपाई जाएगा
जुमेगी ये जमी फिर सावन गाएगा
आंदियों में दीप जलाना है कोड़ोना
को जर से मिटाना है
हिमत को अब नहीं तोड़ना
रसी सप्र के नहीं छोड़ना
हम सब एक है
धर्वे ही सेफ है
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