कच पल के लिए
हम फूले
कोई होई सबन में कैसे भें बसे
जो जीना सके कैसे नर्हें हैं
हम यूँ खद से इस खामुशी में डूबे रहें
कहके भी कुछ कहना हम सके इस दन्हाई में कैसे हम जीएं
खुजे भी तो छपते ही रहें
एक पल के लिए हम बिक्रें
खुआबों के घणे साए में डूबे सपन
चाहें लहरें
पर इन वादियों में किनारा ना मिलें
उड़ती जाएं
उमीदे क्यूं ये हम से इस खामुशी में डूबे रहें
कहके भी कुछ कहना हम सके इस दन्हाई में कैसे हम जीएं
उद्से भी तो छुकते ही रहें हम हम ना रहें