शनिदेव जी हमारे न्याइधीष कोहोते हैं
हम करम करें जैसा वैसा बल पाते हैं
गम की भट्टी में ये
हम को तपाते हैं
तप कर ही तो भगतो कुंदन बन जाते हैं हम करम करें जैसा वैसा बल पाते हैं
सुक दुख का संगम है ये जीवन हमारा
सुक दुख का संगम है ये जीवन हमारा
दुखों के बाद ही तो
भगतो सुक आते हैं
क्यूं शिक्वा करें कोई और क्यूं शिकायत है
जो बोते हैं हम सब जो बोते हैं हम सब वो हीतो पाते हैं
शनिदेव जी बस हमको इतना समझाते है
हम कर्म करें जैसा लैसा वल पाते है
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