Nhạc sĩ: Subhash Bose
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हम हुत माता की भक्तों तुमको कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हाड सुदी अश्टमी के दिन दर्शन को जाते हैं
हम कथा अच्छा को जाते हैं
मोह मांगा वर्दान
कथा बड़ी प्राचीन दक्ष ने किया यग भारी
तो बुलाया पर न किये आमंत्रित त्रिपुरारी
सती ये बोली पती से चलने की कर तैयारी
बिना आमंत्रण न जाऊँ बोले शिव भंडारी
मना किया भोले ने फिर भी बात न उनकी मान
सती पोहच गई वही जहां पे यग कथा अस्थान
दक्ष राज से सती ने पूछा क्यों की या ऐसा कान
सारे देवों संग स्वामी को क्यों न मिला अस्थान
पुत्री की बातें सुन राजा क्या कह जाते हैं दिल को कैसे दुखाते हैं
खुद माता की महिमा का हम वर्णन गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान
पूछा जो कारण को राजा लेकर शिव का नाँ भरी सभामे व्यंग
बान उसे करने लगे अपमान सहना पाई माता सती जो पतीक
असम्मान हवन कुंड में कूद के उसने दे दी अपने प्राण
प्राही प्राही मच गई सभामे मच गई हाँखार आग के जैसे फैली बात मिला भोले
को समचार क्रोधागनी में जल उठे शंकर यग का कर दिया नास सती देह को
कांधे उठाए करने लगे विलाप सुद बुदखो सती देह लिये वो भटकते जाते हैं
कोई रोक न पाते हैं फुद माता की महिमा
का हम वर्णन गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह मांगा वरदान
शिव के क्रोध से देव घबरा कर हरी के पास
है आते कर दे कोई आप उपाई विनय यही कर आते
विश्णू तब अपना सुधर्शन चक्र चलाते हैं
सती के अंगों के टुकडे कर नीच गिराते हैं
बने वो सारे शक्ती पीट हैं अंग जहां ये गिरे
वर्तमान में भक्त यहां आप भक्ती पूजन करें
पारवती के रूप विराजी यहां पे हुदमाता
हुदमाता दर्शन से प्राणी मनचह फल पाता
क्या दक्षन क्या किस्तवार सब मा को ध्याते हैं हुदमा को ध्याते हैं
हुदमाता की महिमा का हम वर्णन गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान निले मोह मांगा वरदान
यहां बनी एक गुफा में शिव और गौरा विराज हैं
श्री गनेश संग बर्भ के रूप में तीनों साज हैं
गुफा में शिव परिवार का करते हैं सब दर्शन
गुफा की छट पर प्राकृतिक जैसे बने है थन
दुधिया पानी ऊपर से नित मीचे गिरता है तीनों बर्फीले लिंगों
से होकर बहता है इसी आत्रा में देवि त्रिशुल सब लेके जाते संग
दूर दूर से शद्धालू आ करते हैं पूजन
अब आओ त्रिशंध्या दर्शन करने जाते हैं हां करने जाते हैं
फुद माता की महिमा का हम वर्णन गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह मांगा वरदान
त्रिशंध्या को सब सुरिश्टी का कहते चमतकार
मानवता के लिए है जैसे ये कोई उपहार
परवत से यह बहके आती जल की अदभुत धार जिसके
दरस्न स्नान को आते प्रतदिन नर और नार
ऊपर से नीचे जल धारा बहके आती हैं फिर
नीचे से ऊपर की तरफ सूखती जाती हैं
तीन बार जल आने से पड़ती संध्या है नाम
इसके दर्शन से ही यात्रा संपन होती तमाम
आओ इनके दर्शन कर हम भाग्य जगाते हैं अपने भाग्य जगाते हैं
पुद माता की महिमा का हम वर्णन गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान