लीज़े
आयिल होली
आयिल होली
दानी आमर जो अतना होई है
की कहानी राजावा पहीले धानी
तोहाँ के हम भी
लगाई बहो की मीले न न करी परसे छूटी
कैसे घहरे आई हो
कैसे घहरे आई हो
चूती कैसे घरे आई हो
गोरे गोरे गलिया में रंगावा लगईती
खुस होई बेयारा मान की
धानी हमार जो हत होई है
की हमाहू बानी अकेले ही जा
उहो होई है अकेले हो
की रंगावा खेले खातीर तडबी
उहो रोवत होई है हो
होँगो न काईवनी
दानी मसताउां है भी..
प्रदियावज़ो की
हमसे कॉरेली नी हो राज जल दी आजा हो
की सब कर पियवा घोरे आईले रज़ाउतु हु आजा हो