हली है
कहीक कूबे माझा करेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
मना काके हाटी ता बाजा में धोरेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
आदत बाई कर बेकार तो पीता करे उघार
पागुन के पाइदा उठावे भारे ना बारे भातार
छूपे छोरी आके उकालांग पचाड़ेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
मना काके हाटी ता बाजा में धोरेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
कविले बाते
दुरगती
होता वेदेही आके छटी
रंगलेके भर पिछकारी लेही में देता पलटी
बेमान सुके जब डाटी तब उलाडेला
हली में छली छड़के दवरा धोरी रङेला
मना काके हाटी ता बाजा में धोरेला