Nhạc sĩ: Devesh Kundan
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हम आज तुम्हें हर तालिक वरत की कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
शिवशक्ती के प्रेम की अद्भूत गाता गाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सव शुनो लगा के ध्यावू
सिस कथा AKI है पहचान
निले मुहवांगा वर्दान
कैलासपती अपने सिंघहासन पर बैठे मुस्काए
माता गोरआ पास में बैठी राज समझ ना पाएं
शिव के गले में नरमुणणों की माला देखी भारी
मा गोरा ने शिव से पूछा, ये क्या लीला धारी
माता के वच्णों को सुंखर महादेव हरशाए
नर्मुंडों की माला का फिर राज उन्हें समझाएं
जितने जनम लिये हैं तुमने इस धर्ती पर आईं
उतने ही सिर लगे हुए हैं बात उन्हें समझाएं
शिव को प्यारी उनकी शक्ती ये बतलाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हर ताल कतीज की हम तो भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान
पारवती ने पूछा प्रभवर ये है कैसी लीला
पिछला जनम मेरा कहा हुआ था कैस रचाई लीला
पर माता की बाते शिवजी ये बताते हैं
पिछले जनम में माता सती थी ये समझाते हैं
दक्ष राज थे पिता आपके आप प्यारी संतान
पती रूप में वरण किया मेरा और बढ़ाया मान
पूर्ट्री प्रेम में विवश बहुत थे करते मेरा अपमाण
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
शब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान
मिले मोह मांगा वरदान
राज़ा दक्षने फिर मेरा है यूँ अपमान किया
यग किया भारी लेकिन मुझको ना मान दिया
सभी देव को दिये निमंत्रण मुझको नहीं बुलाया
अपनी पुत्ति सती को भूले न याद जमाता आया
पिता प्रेम में डूबी आप हैं दोडी माई के
लोक भाव सब त्याग दिया और पहुँची भाग के
सोचा पिता से भूल हो गई जाऊं मैं अपने घर
पुत्ति पिता में भेद ही क्या जो जाऊं देख कर
इसके बाद हुआ क्या गवराई ये बतलाते हैं
पावन कथा सुनाती हैं अरिताल कतीज के हम तो
भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सब सुनो लगा के ध्याद
इस कथा की है पहचाद मिले मुहवांगा वरदाद
सभी देव को मिला संघासन मिला उचित सम्मान
किन्टु यग में कहीं दिखा ना मेरा कोई अस्थान
आपके पिता ने आपको भी ना दिया उचित सम्मान
यग के स्वामी शिव ही तो है उनका बढ़ा ओमान
राजा दक्ष ने आपकी बात पे नहीं दिया तब ध्यान
मेरे कारण दक्ष ने आपका खूब किया अपमान
मेरा ये अपमान देखकर नंदी क्रोध में आया
आप भी अपनी सुद को बैठी क्रोध बहुत है आया
कैसे हुई थी आप सती हम ये समझाते हैं
पावन कथा सुनाती हैं हर ताल कतीज के हम तो
भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुहमांगा वरदान
अगनी कुंड में होके समाहिद यगविद्ध्वन्स हुआ
तीनो लोक में फिर तो भवानी इक विसफोट हुआ
अगनी कुंड में कूद आपने त्याग दिये थे प्राण
अपने दूत के द्वारा मैं तो बात गया ये जान सभी देवता यग छोड़के
भागे बचाके जान तीनो लोक में मची थी भगदर सुष्टी पड़ी विरान
राज़ा दक्षने सोचा ना था ऐसा भी कुछ होगा
अब जो होने वाला था शिव की इक्छा से होगा
दक्षने के यग का मिटा नाम था ये समझाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हर ताल कतीज के हम तो भकतों गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सभ सुनो लगा के ध्यान
इस कता की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान
मा काली ने दक्षराज के शीश को काट दिया
काल रूप में काली ने फिर तो संहार किया
जलती काया आपकी मैंने अपने हाथों उठाया
वीर भद्रमाता काली ने यग का नाम मिटाया
स्री विश्णू ने चक्र चलाकर काटे आपके अंग
चवी रही ना आपकी मन में क्रोध हुआ मेरा भंग
क्रोध की ज्वाला मेरे अंग से जलती रही चहुँ और
सभी देवता करें प्रार्थना क्रिपा करो हे अधोर
इसके बाद हुआ क्या आपको ये बतलाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हर ताल कतीज की हम तो भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिलें मोह मांगा वरदान
विरह अगनी में जलता रहा मैं रहा न आपका
साथ अपने पराये छूट गए और रही न कोई आस
अगले जनम में आप तो पारवती बन करके आई परवत राज हिमाले की
तो पुत्री हैं कहलाई परवत राज हिमाले को थी चिंता बहुत
ही भारी पुत्री विवाह की इक्षा मन में किस से करें विचारी
क्यू था अल्ली दून्य बो हाण दॉनना एक
नारत जी को फिर तो अपनी वइथा बताते हैं
द्रीविवाह की चिन्ता नारद जी को बताते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
अर्ताल कतीज के हम तो भकतों गाता गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान
नारद जी स्री विश्णू का तब नाम बताते हैं
स्री विश्णू सा कोई नहीं है ये समझाते हैं
विश्णू Jeeple को फिर को विवाह का सन्देशा भिजवाया हरषित
भो श्री विश्णू जी ने उनका मान बढ़ाया सुनके विवाह की बाते
विश्णू मान जाते हैं उनके आने का संदेशा नारद लाते हैं
श्यो हिरदे से किया वरनोरAL
ध्यान हिरदे किया
पिता हिमाले आपके HIMANLE Aapakke
मनकी जान न्ह पाते हैं manki sing nathoe
पवन कता सւनाते हैं Pavan katha sunaate hain
अधर्व संगमे ऽद Gathar song tame
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान
मिले मोहवांगा वरदान
जिन्ता बहुत बड़ी थी दूविधा बड़ी भारी
शिव का हिर्दैसे वरण किया मैं शिव की ही प्यारी
आपकी एक सहेली ने फिर आपको राह दिखाई
आपके पिता से छुपाके आपको बन में लेकर आई
रेत के शिवलिंग अपने हाथो आपने ही है बनाया शिवलिंग की नित करके
अराधन घोर तपो बल पाया अपने तप से आपने मुझको वर के रूप में पाया
शिव शक्ती का मिलना तै था जग को ये समझाया
तप के बल से पारवती शिव जी को पाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
अरिताल कतीज के हम तो भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह मांगा वरदान
पावन के लिए जो गन रूप बनाया आपके पिता ये जान सके ना कैसी थी ये माया
घूडिक प्रा कौपर रुड � 물어� न में
अपने मान नर्भ और दुखने तो जागने के लिए जो गहैल है
इतनी कथिन तपस्या कहा कोई कर पाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हर ताल कतीज की हम तो भक्तों गाता गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद
सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचाद
नारद जी को आपके प्रेम का फिर तो भान हुआ
अपनी गल्ती पर पच्चताएं ये क्या काम हुआ
नारद जी फिर आपके पिता के पास ही आते
हैं पारवकी शिव जी को चाहे ये बतलाते हैं
उनकी चाह में पारवती ने घर को त्याग दिया
जाकर वन वन भटकी खुद को तप में जला दिया
क्रिपा करो हे राजा हिमाले जाकर उनने बुलाएं
पारवती ही माता सती हैं शिव से व्याह कराएं
पारवती के प्रेम पिता को खीच ले जाते हैं पावन कथा सुनाती हैं
हर ताल कतीज के हम तो भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाण सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान
नारद जाकर स्री विश्णू को बात बताते हैं
हर ताल कुछ सालते हैं हम पता खुच गिट享के जर्णे gestures
खुछ सालते हैं महाण पफ़ान ती ने गपते हैं
हम खझे के water camera ėरे के वीडियो vape
शिव के संग में गोरा मा का फिर तो ब्याह हुआ
धूम मची थी चहुँ और शिव का उदगोस हुआ
शिव शक्ती तब एक हुए हम ये समझाते हैं
पावन कथा सुनाती हैं
हर ताल कतीज की हम तो भक्तों गाथा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान
मिले मोहवांगा वरदान
शुकल पक्ष के भादोत थी में तीज सुहानी
आई हर ताल कतीज है कहते इस शुब गडी वो आई
एक सखी ने उसी दिवस मा गवरक हरन किया
इस कारण इस वरत का हर ताली का नाम पड़ा
हर ताली का वरत पूजण जो भी नीयम से करें
मन चाहा वरपाती हैं जीवन भर राज करें
कहे देवेसी सुनलो भक्तों इसे लगा कर ध्यान
करें जो बंदन शिव गोरा का उसका हो कल्यान कर भद्ध
प्रार्थना करके हम तो भजन सुनाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हर ताल का तीज के हम तो भक्तों गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मोह मांगा वरदान
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