मानव का प्रान दिये प्रभूतुनेमानव का प्रान दिये प्रभूतुनेओ महिम कोन माने तोरी गोविंदरे, ओ माया कोन जाने तोरी माधवरेमाटी के पुतले को मानव कह प्यान दिये प्रभू तुनेओ महिम कोन माने तोरी गोविंदरे, ओ माया कोन जाने तोरी माधवरेबड़ी तेरी होचने की लम्बि दगरिया, उछ समझ समझ बढ़ते चलो दूर नगरियाबड़ी तेरी होचने की लम्बि दगरिया, उछ समझ समझ बढ़ते चलो दूर नगरियाले दे उठा कोई उसके पहलेले दे उठा कोई उसके पहलेसी बंक टेश देख पाए नजरियामाती के पुतले को मानव कहकान दिये तभू तुनेवो महिम कौन मान तुरी गोविदरेवो माया कौन जान तुरी माधवरेचावडबैल कैसे बचे मट के साथ मेंहम हर नाम ले तो नहीं विपद रह मेंहम हर नाम ले तो नहीं विपद रह मेंहमें उसके होते ना गुविधा कोई बात मेंहमें उसके होते ना गुविधा कोई बात मेंहमें उसके हुआ साथ पहनेभाई नपास में हमें उसको हुआ साथ तो भाई नपास में हमें भाई नपास मेंखाटी के पुतले को मानल कहतान दिये तभूत में ओ महिम कोन मानत री गोविंदरे ओ माया कोन जानत री माधवरे