हरी के महीमा को क्या मैं बताँ।
रंग अपना दिखा कर रहेंगे।
जो भी आयेगा इनके शरण में,
ज्यान उसको सिखा कर रहेंगे।
गोते खाये हैं हम भी भावर में,
अब चरण में ही आकर रहेंगे।
छोड़ो दुनिया के दावलत वो भाई।
अब चरण में ही आकर रहेंगे।
चोड़
दुनिया के दालत वो भाई
अब हरी के लिए हम जीएंगे
जब हरी के सरण हम भी आये मुक्ति का मरग हम यहां पाए
हम दिवाने हरी के नजर का
उनको अपना बना कर रहेंगे
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