अलक निरंजन भव भय भंजन जनमन रंजन दाता
हमें शरण दे अपने चरण में कर निर्भय जगताता
अलक निरंजन भवः भय भंजन जनमन रंजन दाता
हमें शरण दे अपने चरण में कर निर्भय जगताता
तुन हे लख हो की नई या ,तारी तारी हरि हरि
जय जः नारायानं नारायान् हरी हरि
स्वामि नारायानं नारायान् हरी हरी
तेरी लीला सब से न्यारी न्यारी हरी हरी
रामनाम तू भजले , वो ही जीवन ओ साकार करे
हम् पर दत्योंर में फसी नाव को एवल राम ही पार करें
कल्यूग में ना कौी किसी का राम ही एक सहारा है
हिदय से जिस्ने ध्यान किया, भव सागर पार उतारा है
माया कामना आये अंतमे कर्मकाम तेरे आ एंगे
सुबशाम जपराम नाम दुख तेरे सबी मिठ जाएंगे
बड़े कृपालू राम मेरे सबकी विन्ती सुइकार करें
राम राम तो बोलके देख तेरा भी वो उध्धार करें
प्रभू के नाम का पारस जो छूले वो हो जाये सोना
हर्य detached
मैं खुद से रामा रूट गया
मतलबी इन नोगों से विश्वास मेरा उठ गया
दरदरगी मैं ठोकर खाके शरण तेरी मैं आया हूँ
राम जी मेरा साथ दोगे उम्मीद यही मैं लाया हूँ
सासों के संग नाम तेरा निस दिन राम मैं जबता हूँ
तेरी शरण में छाया दो इस जग में तो मैं तपता हूँ
पंच तत्व की इस काया में रुफ मेरी अब दुख पाए
इस भक्तपे करो कृपा प्रभुमोक्ष इसे अब मिल जाये
जैज़ नारायन, नारायन हरी, हरी
स्वामी नारायण, नारायण हरी, हरी
तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी
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