हरे का सहारा
मिरा शाम
शाम से हैं सुभाव
शाम से हैं ये शाम
शाम से हैं ये शाम
सबकी बिगड़ी बनाते
हारे का सहारा
मिरा शाम शाम से हैं सुभाव शाम से हैं ये शाम
ना चाहो धन और दालत,
ना चाहो महल में बाबा बस यही मेरी विनती है
तिरी दासी रहू मैं बाबा
ना चाहो धन और दालत,
ना चाहो महल में बाबा
बस यही मेरी विनती है तिरी दासी रहू मैं बाबा
रहे ज्जाया तुम्हारे सर्पे हाथ तुम्हारे मैं तो जपते रहू तिरो नाँ
शाम शाम खाट हो शाम शाम
हारे का सहारा
मेरा शाम शाम से है सुभाव शाम से है शाम
है आपको प्रस्तुति नहीं नहीं नहीं
आपकी महिमा ऐसी बिन मांगे सब कुछ झाता
है आपकी महिमा ऐसी बिन मांगे सब कुछ झाता
करिपा ऐसी बना दो मुझे को राह दिखा दो
खाड़ो शाम शाम,
हारे का सहारा
मेरा शाम
शाम से है सुभाव, शाम से है शाम
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