जगमग है जिस जोति से
सच्राचर स्वक्षंद
जयति ब्रहम ब्रहमांड मैं सोई सच्चिदानन्द
तू ही आदि
अनादि है
तू ही अन्त अनंत
तू ही एक अनेक में
तेजवन्त भगवन्त
हम अम्रभाई वहनों समराट अक्वर के समय में
जहांसी के पास एक चोटी सी राजधानी ओच्छा थी
जहां बुन्देले वन्स के चठ्री राजा वीर सिंग राज करते थे
उनके दो पुत्र और एक पुत्री थी बड़े बेटे का
नाम जुझार सिंग और छोटे बेटे का नाम हरदॉल था
हरदॉल की बेहन का नाम कुञ्जवती था
तो सुनें
की बच्चपन में माता पिता
गए जब स्वर्ग सिधार
जिस समय महराज जुझार सिंग अपनी पत्नी के पास जाते हैं
तो चमपावती ने कहा आईए महराज आईए रतन पलंग पर विराज़िये
क्या बात है महराज बोलते क्यों नहीं
क्या कोई बात हो गई है
बताओ न मुझे
हाँ हाँ क्यों नहीं बताऊँगा अवस्य बताऊँगा
तुझे मैने हार समझा था गला अपना सजाने को
तु एक नागिन बन बैठी मुझे ही काट खाने को
अरे अरे क्या बात हो गई प्रेतम
आज आप हमसे बहुत नाराज हैं
ऐसी हमसे क्या भूल हो गई
क्या भूल हो गई
बड़ी भोली भाली बनकर हमें पूछ रहे हो
सुनलो अपनी कर्तूर्ट को कि तुमने क्या किया
देवर संग ऐश उडाती है तो इलाज शरम नहीं आती है
कुछ मेरा खोफ न खाया है और उसी से प्रीति लगाई है
उसी कर रहे पुरवासी तुने दीने शर्म भी हाई है
अरे हाई हाई
ये आप क्या कह रहे हैं महराज
क्या कह रहे हैं आप
ऐसा कभी नहीं हो सकता
देवर मुझे को इतना समझे आर्जुन ने समझा गीता को
देवर मुझे को इतना समझे हन्मत ने समझा सीता को
खबरदाच चमपावती मुझे जुज़ार सिंग कहते हैं ज़यदा
जुवान चलाओगी तो अभी तलवार से तुकड़े तुकड़े कर दूँगा
सीता और सीता सब तेरी गंदी जुवान से अच्छे नहीं लगते
अगर तू अपनी खेट चाती है तो हर दौल को भोजर में जहर देकर मार दे
हाई हाई
मैं क्या सुन रहे हूँ
अरे भगवान
हमारे ऊपर वज्र क्यों नहीं तूट पड़ता
धर्ति महिया तू ही भज़ा जो मैं तुझ में समा जाओं
प्रेतम मैं सत्य बयान करती हूँ सुनिये स्वामी
कि हर दौल तुम्हारा भाई है
देवर वह मेरा प्यारा है
सत्वादी है ब्रह्मचारी है
नादान उमर का बारा है
प्रेतम मैं सत्य धर्म से कहती हूँ
तुम्हें किसी चुगला ने बहका दिया है
मेरी बात मानो स्वामी जी
मैं आप तेरी बातों का बिल्कुल विस्वास नहीं कर सकता
उसे आज ही जहर देकर मानना है
स्वामी जी मैं आपके चेड़ों में
हाथ जोड़कर विन्ती करती हूँ
कि ऐसा मत करो
है निर्दोशन तुम्हारो भईया क्यों ये दोशन लगायो
मैं ये सब कुछ नहीं सुनना चाता हूँ
वा मेरा भाई नहीं दुश्मन है उसने मेरा कुल कलंकित कर दिया
और तुम उसे जहर देकर तुरंट मार दे ऐसी मेरी आग्या है
वरना मैं अपनी कलवार से तुम दोनों के
सीस काट कर इसका जहरी इसे फेक दूँगा
हे भगवान
अग क्या करूँ
अगर अपने पिया की बात नहीं मानती हूँ
तो मेरा पति ब्रत धर्म नस्ट होता है
और निर्दोश को जहर देकर मारना यह भी धर्म के विपरीत है
हे भगवान
अब तो एक ही उपा है
कि भोजन के जहर मिलाने के बाद में लाला हारदॉल को बता
दूँगी और वो भोजन नहीं करेगा तो उसके प्राण बच जाएगा
और हमारा भी धर्म रह जाएगा
भावी के चरणों में हारदॉल का सीस जुका कर
प्रड़ाम भावी भावी अरे बोलो ना क्या बात है
कुमला क्यों गया है
तुम मेरी धर्म की मा हो
सच सच बताओ मा क्या बात है
क्यों रूँ रही हो
बेटा हरदॉल
एक बार मेरी गोधी में आ जाओ
मैं जी भर कर तुम्हें प्यार कर लूँ
ओ मेरे लाल आ जाओ
तुझी को गली लगालू
दिल में तुझे बिठालु merchant
ओ मेरी लाल या जाओ
तुझी को गली लगालू
गली लगा लूँ दिल में तुझी बिठा लूँ
भाभी,
क्या कह रहे हो?
मेरी समझ में कुछ आही नहीं रहा है
भोजन में जहर मिला हुआ हुआ है
क्या बात क्या है मा?
हाँ बेटा,
भोजन में जहर मैंने ही मिलाया है
लेकिन क्यों मईया?
भोजन में जहर आपने क्यों मिलाया?
सुनो लाला
बेटा हरदोन,
तुम्हारे भाईया ने कहा है
गजब हो गया
बड़े भाईया ने मुझे दोस्ट लगाया
यह सब कैसे हुआ?
ए भगवान,
ए प्रभू अब क्या करूँ?
बेटा हरदोन,
अब मेरी बात सुन लो
बेटा,
ने अबने आगे भोजन नहीं खाने दूँगी
लाला,
बेटा हरदोन,
गोधी के खिलैया बेटा मेरी गोधी में आजा
रो नहीं मईया,
रो नहीं
मा,
मेरी एक बात सुन लो
पहल का भावी मेरी निर्दोश है
मैया,
मुझे मरने का गम नहीं,
गम तो हमें इस बात का है,
कि तुम्हें जूटा दोस लगाया गया
हे चंद्र, सूर्य, नव, तारे,
तुम सब देख रहे हो,
तुम मेरी भावी को निर्दोश कहना,
हे धरम राज,
तुम धर्म का नियाय करना,
हे घट-घट की जाने वाले अंतरयामी,
अगर हमारे दिल में तनिक भी पाप हो,
तो हमको करोडों वर्षों तक नरक मिले
मुझे भोजन देदो मईया,
भोग लगी है,
मैं आपका आज्याकारी हूँ
और भाईया का भी आज्याकारी हूँ,
अतावाद भाईया की आज्याका पालन अवश्य करूँगा
बेटा हरदोर,
मैं अपने सामने भोजन नहीं खाने दूँगी,
अपने सामने भोजन नहीं खाने दूँगी
मैं अपने आगे भोजन नहीं खाने दूँगी बेटा हरदोर,
और अगर तुमने भोजन खाया,
तो तुमसे पहले मैं अपने प्राण कमा दूँगी
नहीं नहीं भावी,
ऐसा मुझ करना,
अगर तुम मेरे साथ प्राण कमा गौँगी,
तो ये दुनिया इस बात को बिलकुल सत्य मानेगी
मां,
अरे बेटा,
मैं तुम्हें अपने आगे भोजन नहीं खाने दूँगी, बेटा,
नहीं खाने दूँगी
भावी,
भावी आगे खोलो,
भावी तम्हें क्या हो गया, आगे खोलो भावी
ये भगवान, ये सब कुछ क्या हो रहा है,
भावी बेहोष हो गई,
चली ठीक हुआ
इसी बीच में,
ये हम भोजन जो रखे हुआ हैं,
वो कर लेते हैं,
अच्छा मौका है
माँ एक बार आगे खोलो,
अपने बेटे को गोदी में लेकर के प्याई करो माँ,
मैं अन्तिम समय में,
अन्तिम समय में तुम्हारे मुख से कुछ सुनना चाहता हूँ
बेटा,
बेटा हर्दोल,
लाला हर्दोल,
अरे क्या हो गया तुम्हे,
बेटा ने जहर का भोजन खा लिया,
बचाओ, बचाओ भगवन मेरे लाला को बचाओ,
भावी
घवडाओ नहीं,
बेटा अग तुम्हारा जा रहा है,
लेकिन मईया एक बात में भी सुनो,
भावी
मेरी जुवान बंद हो रही है मईया,
राम राम भावी,
बेटा,
बेटा आगे खोलो,
कहां गई लाल,
बेटा हर्दोल,
एक बार आगे खोलो,
मुझे एक बार बोल सुना दो, बेटा एक बार कुछ कहो,
हमें अकेली छोड़ी लला, तुम कहां कु गई सिधाल,
भावज तेरी तडफ रही है,
बहे नेन जलधारी,
मुझे एक बार बोल सुना दो,
भीर मईया को बदाए दो,
ललानिक बोल सुना दो,
भीर मईया को बदाए दो,
भीर मईया
को बदाए दो,
सबी नगर नवासी
एक दंप से चिल्लाने लगे जब ये ख़वर उनके पास पुलची,
अरे भईया ये क्या हुआ,
हरदॉल तो हमारे आगों के तारे थे,
अरे चुगले तेरा सत्या नाश हो,
जो तूने ये सब करवा दिया,
अरे भईया हरदॉल
तू तो मेरा संग का सखा है,
अरे हाई गजब हो गया,
एह भगवान ये क्या किया,
भईया तुम्हारे बिना हम लोग यहां कैसे रहेंगे,
अरे वाह,
हरदॉल मर गया,
मर गया कुल कलंकी मर गया,
वाह,
पाजी को किये का मज़ा मिल गया,
आव हमारी छाती थंडी हो गयी,
आप लोग रो क्यों रहे हो,
बंद करो ये रोना,
चलो हमारे साथ,
इसे मरघट में ले करके चलते हैं,
इधर मरघट में हरदॉल को जला करके सभी लोग लोट आते हैं,
प्रियभाई बहनों,
इधर बहन कुञ्जावती को हरदॉल ने
रात में स्वपन दिया, और कहा,
अरे ओ बहन जी,
बहन जागो,
बहन मुझे
प्यास लगी है,
पानी पिला दो,
और सुनो बहन,
बड़े भाईया ने मुझे जहर देखकर मार दिया,
अरे भाईया,
भाईया हरदॉल,
आप कहाँ चले गए भाईया,
अभी तो आपने पानी मागा था,
और आप, आब आप कहाँ चले गए,
हाई भगवान गजब हो गया,
भाईया हरदॉल को जोज़ार सिंग ने जहर देखकर मार दिया,
भाईया हरदॉल ने मुझे सपने में सब कुछ बता दिया,
अरे कुञ्जवती,
क्यों बेचेन हो रही हो,
सपने भी कभी अपने होते हैं,
नहीं, नहीं स्वामी,
मैं सत्य कहती हूँ,
भाईया की आत्मा भटग रही है,
भाईया क्यों नहीं बोलती,
भाईया कहा है,
भाईया कहा है, बता दो ना भाईया,
मैं क्या बताऊं कुञ्जवती,
मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि इसका जवाब मैं तुम्हें कैसे दूँ,
कहां गया
हर दौल कुमर,
बहिना तुमको क्या बतलाऊं,
मैं कापिन हूँ, हाट्यारिन हूँ,
ननदी कहने में शर्मा आओ,
इसी चुगल ने साजन को जूठी बातों से बहताया,
अरे दौल संग तु
एश करे,
राजा ने हमको बतलाया,
मुझे को धपका कर प्रियतमने,
विश्च का भोजन गोटा ने,
विश्च का भोजन बनवाया है,
सुनो,
भोजन खाकर ओ बहेना जी,
बेटा सुरधा मपताया है,
अग क्या करो,
लाला को कहां से डूर के लाओ,
उसे तो मैंने ही मार दिया,
अग क्या करो,
इसी समय जो ज्हार सिंग वहाँ आ जाता है,
अरे तुम तोनों क्यों रो रो रही हो,
रोना बंद करो,
तुम्हें पता है,
कि मैंने हर दोर मरवा दिया,
तुम्हें तो घी के दीपग जिनाने चाहिए,
उसने मेरा कुल कलंकित कर दिया,
वह मेरा भाई नहीं,
दुश्मन था,
चुप रहो,
वोना नहीं है मेरे सामने,
अरे हत्यारे,
हट जा मेरे सामने से,
तुने मा जाया भाईया मरवा कर,
कुल का दीपग ही पुझा दिया,
जायी दियो मरवाई के ऐसी कथिन चाती करी,
खायो न काले नागने नहीं बीजुली तो पैपडी,
आपयश हुआ संसार में और कुल कलंकित कर दिया,
बखवास बंद कर दें कुञ्जाबती,
बंद कर दें,
मैंने बहुत कुछ सुन लिया,
आप आगे बरदास नहीं करूँगा।
अरे दुष्ट,
तु जिन्दा बना रहा
और मेरा छोटा भाई हारदॉल तुने मरवा दिया,
तेरे मूँसे जहर की कैसे निकल गई,
उस वक्त तेरी जीब जल भी नहीं गई,
मूँमें कीड़े भी ना पड़े दुष्मन,
जो मेरे प्यारे भईया को तुने मरवा दिया।
बस बस खामोस हो जा कुञ्जावती,
मैं तेरा भाई नहीं हूँ,
तो तू भी मेरी बहन नहीं है,
जा,
जा बापस अपने ददिया को,
मैं भी कभी तेरे दर्वाजे पर नहीं आओंगा।
जाती हूं रे दुष्ट जाती हूं,
तेरे अभिमान को भगवान किसी दिन चूर चूर कर देगा।
तो कुञ्जावत फिर चल दई,
दतिया
पहुँची आई,
खबर शहर में पड़ गई,
सबरो भी और पछ्छिताई।
बहन कुञ्जावती,
अब तुम्हारी बेटी की शादी आ गई हैं,
अब यहां रञ्ज मलाल छोड़कर बिहाँ के गीत गईओ,
औग ग्राम ओट्शा में जाकर भया से भात माँगू।
अरी सहेली,
तुम क्या कहती हो,
वह मेरा भाई नहीं है,
भाई जो था वह मर गया।
अब में भात न उतने कहा जाओ,
मैं उस अथ्यारे का कभी मूँ नहीं देपना चाहती,
और न उसे अपना दिखाना चाहती हूँ।
अरे कुञ्जबती,
परिवार के हम सब लोग तुमें संजा रहे हैं न,
तुम जाओ और तुमें जाना भी चाहिए भात माँगने के लिए।
मगर तुम नहीं जा रहे हो,
तो
तुमें नाई को भेजना चाहिए।
ठीक है,
आप लोग कहते हैं,
तो मैं नाई को भेजती हूँ,
लेकिन आप लोग देख लेना,
वो यहां नहीं आएगा,
निश्य ही मेरा अपमान होगा।
अरे भाईया बुलाकीदास,
तुम ये ब्याह की पत्रिका लेकर मेरे पीहर जाओ।
ठीक है, मैं जाता हूँ,
नाई जब ओच्छा में पहुँँ जाता है,
और जुज़ार सिंग के सामने पहुँँच करके,
महराज जुज़ार सिंग को मेरा प्रडाम स्विकार हो।
प्रडाम,
प्रडाम, कहिए,
क्या समाचार है?
महराज,
आपकी भाञजी की शादी है,
ये निमांतर पत्रिका तुम्हारी बेहन ने भेजी है।
अरे वाह,
इसमें तो भाद भी माँगा है।
बुलाखीदास,
ले जाओ इस पत्रिका को और उससे कह देना
कि वो यहां से कह के गई थी,
शायद उसे अपने शब्द याद होंगे।
कह गई मुझे से गाली दे कर,
मैं मुख नहीं देखूंगी तेरा,
वो उसी बात को याद करे कि जुनाता रहा नहीं मेरा।
ठीक है महराज,
मैं जाता हूं।
बुलाखी दास नाई,
बापस दतिया आ जाते हैं
और
कुञ्जावती से कहा,
ये लो बहन आपकी निमंतर पत्रिका,
तुम्हारे भईया ने तो खुले शब्दों में कह दिया कि
बात अगर पहना है तो वो अपने भईया हरदौर्च से मांगे,
मैं उसका भाई नहीं हूँ�
उसकी गोली हमारी सीने में गोली सी लग रही है,
अब तो मैं मरघट जाती हूँ और हरदौर्च भाईया से भात माँगी,
अगर भाईया भात नहीं पहनाएगा
तो मैं वही मर जाओंगे
यह समय कुञ्जाबती
मरघट में जाकर के अपने भाईया हरदौर्च से भात मांगती है
और
अपने प्यारे भाईया से कहा
भाईया हरदौर्च
पहनाएगा तो मैं आपके मरघट में आकर आपसे भात मांगने के लिए
ब्राता करती है कि मुझे भात पहनादो
भाईया,
मुझे भात पहनादेना
यह आई है बड़े भाईया जो जाकर सिनने इस पस्ट मना कर दिया
कि भेना मांगे हात पस्टारी भात वोई भेना भाईया
तो है
और अगर तुम भात नहीं पहनाओगे
तो मैं भी अपने प्राण गमादूँगे
बहन ऐसा मत कहो
सुनो मेरी प्यारी बहन मैं मिलू आई कैसे तुमसे है नहीं
बहन जी
ध्यारे रखो
मैं तुम्हे आवसे भात पहनाओगा जाओ बहन घहर लोड़ जाओ
जैहो मेरे भ्याया की जैहो वेवात्मा हर्डॉल की जैहो
भ्याया मैं जाती हूँ
प्रियोबंदो इधर
हर्डॉल नगर सेट को सपना देते हैं अरे सेट जी सेट जी मैं हर्डॉल हूँ
मुझे भ्याया ने जैहर देकर मरवा दिया मेरी भाणजी की शादी है
तो बहन को भात पिनाना है
पश्चिम दिसा में पुराना तालाब है और उसी तालाब
की किनारे पेड के नीचे आपाल सोना गड़ा है
तुम जितना चाहो वहां से सोना चान्दी जवाहरात
लेकर मेरी बेहन को दतिया में जाकर भात पिना दो
सेट ने जैसे ही एक सपना देखा
तो तुरंट बैट गया
अरे मैंने आज बड़ा अजीब सपना देखा
मुझे देवात्मा
हरदॉल ने स्वप्र दिया है मुझे हरदॉल की बात पर पूर विश्वास है
निशे ही वहाँ खजाना होगा
चलो चलके देखते हैं और जैसे ही नगर सेट ने उस जगए को खोदा
अरे वास्तम में यहां तो आपार खजाना है आज मैं
यह सब ले जाकर बहन कुञ्जावती को भात पहनाओंगा
सेट जी भात लेकर दतिया पहन जाते हैं और संग की
सहेलियां एक साथ बोली
कि ओ बहिना कुञ्जावती अब ना देर लगाई
वीर भातरी आई गयो जैलैले ओ गाई बजाई
ठीक कहती हो बहन तुम ठीक कहती हो चलो हम सब मिलके
भात के गीत गाऊंगी और भाईया की आटी उतारूंगी
अरे भावी की भीजे रंग चूनरी और भाईया की
जिरमल पाग सासु मेरी भीजत वा वे भातरी
आई गयो जैलैले ओ गाई बजाई खुश भाईया की अटी उतारूंगी आई
गयो
जैलैले ओ भाईया की जिरमल पाग सासु मेरी भीजत वे भाईया
की जिरमल पाग सासु मेरी भीजत वे भाईया की जिरमल पाग
सासु मेरी भीजत वे भाईया की जिरमल पाग सासु मेरी �
जब पहनूँगी भात बिरन बोई आईजी पहनावे मैं जब पहनूँगी भात
बिरन बोई आईजी पहनावे मैं
जब पहनूँगी भात
बिरन बोई आईजी पहनूँगी भात
बिरन बोई आईजी पहनूँगी भात
भाईया, कहा हो?
भात नहीं पहनूँगी
उसी समय हरदौल की आवाज सुनाई दी
बहन मैं बिना शरीर की तुम्हें कैसे मिलूं?
बहन तुम क्यों दुखी हो?
तुम अगर हमसे मिलना ही चाती हो
तो इस खम्बे से आकर भेट लो
भाईया, भाईया, अवज़सी भेटूँगी खम्बे को
अवज़सी भेटूँगी
और कुञ्जवती खम्बे से भेटती है उसी समय
तेज आवाज के साथ खम्बा फट जाता है
हरदौल का
प्रतविम दिखाई पड़ता है
जैहो हरदौल भाईया,
जैहो
आगया मेरा भाईया,
भाईया मेरा आगया,
भाईया
मुझे एक बार दिखाई दो
और जब हरदौल ने अपनी बेहन को अपना दर्शन करा दिया
बेहन बेहोष होकर जमीट पर गिरपड़ी होश जब आता है तो
कहने लगी कि भाईया मुझे दर्शन देखकर कहाँ चला गया,
कहाँ हो भाईया, दन्य हो भाईया,
इदा सेट ज
रञ्जमलाल छोड़ दो,
कुञ्जवती ने कहा ठीक है भाईया, मैं आती हूँ
कुञ्जवती ने बड़े प्रेम पूर्बग भात पहना,
इधर
जो शादी हो रही थी
हरदौल की भाईजी की
तो उस दूले ने ये कहा कि मामा हरदौल
मामा मुझे भी दर्शन दो,
अगर मुझे दर्शन नहीं दोगे तो मैं इस
आङण में अन्य जल कुछ भी गरह नहीं करूँगा
मेरी ये प्रतिग्या है कि अगर मुझे हरदौल मामा
दर्शन नहीं देंगे तो मैं अपने प्राण गवादूँगा
उसी समय हरदौल की आवाज आई और हरदौल ने कहा कि बेटा तुम
मेरे भारनेस दमान हो मैं तुम्हारी ये प्रतिग्या पूर करूँगा
आओ हमसे मिल लो बेटा
लो या हमारी भेट सुईकार करो
फुझावती कहने लगी भाईया हरदौल कहाँ चले गए मैं तो तेरे साथ ही चलूँगी
भाईया अब इस संसार में रहकर क्या करूँगी मुझे भी अपने साथ ले चलो
दिल की टुकड़ी
टुकड़ी करकी कहाँ भताईया चल दी
जाते जाते ये तो बताईजा हम जीएंगे किसके लिए
बताईया चल दी ये
शोता गुड़ भाई वेनो
भगत हरदॉल ने इस प्रकार अपनी बेहन को भात पहनाया
कुछ समय बाद
जब समराठ अगवर ने जुज़ार सिंग को युद्ध में पराजित करके
दतिया को अपने राज्जि में मिलाना चाहा तो
हरदॉल ने उसे स्वप्न देकर राज्जि बापस कराया
और अगवर के द्वारा
हरदॉल देव का इस्थान बनाया गया
तब से हमारे देश में हर जगह भगत हरदॉल पूजे जाते हैं
प्रियभाई वेनो हमारे अग्रिम प्रोग्राम
अम्बे कैसिट दिली से सुन सकेंगे
धन्यवार