राती कूच बलोचा कीत तकदीर इलाई वहे गई
सुती रह गई जंगी उठी अब बड़ बादी
उठी ने रूठ के बैड़ गई सुती रह गई
सड़ गई बाग सुहाग ससी गई उदे बखत पी मंकल गई गई
सुती रह गई दक्षत परंगे लार बहा गई
मुंकल माकांड़ा का यही रूठ आते है
मुंकल माकांड़ा का यही रूठ आते है
मुंकल माकांड़ा का यही रूठ आते है
ससी जमती हो जाई शाम सुभाई
बाच पुनलते चैन नहागे बैया इशक दिया बल दिया भाई
मुंकल माकांड़ा का यही रूठ आते है
मुंकल माकांड़ा का यही रूठ आते है
इस सजात में फरीत मैं वाली जाए
करे पुनलखा मैं लिगाए हो जाए
आड़ा भुदादा मनगे बजारी
एकनी बजन के नाकं दयारी
आड़ा भुदादा
तैबा जे सांबल मैं हाँ जे कोड़ी
तू सोणा जेहता नहीं कोड़िया तू छड़ना
वो लकंग भुदादा नहीं कोड़िया तू छड़ना
तू जे चले से नहीं कोई असादा
वो दक्डे तु बोले खासा आबादे नहीं आदा
मलका जे मैंनू बाके पनाचा
ये दोड़े छड़ा नहीं मेरे लाजा
मैंने वफ़ा आजा कागल आच्छते संगी
सबसंगी आबादे नहीं आदा
तै बाज सावल मैं हाले पथीता तै कु गनाते हर गजे नाजी साग
पागल सद सने आबादे नहीं आच्छते संगी
सबसंगी आबादे नहीं आच्छते संगी
सबसंगी आबादे नहीं आच्छते संगी
सबसंगी आबादे नहीं आच्छते संगी
सबसंगी आबादे नहीं आच्छते संगी