गुरू चरण में शीष धर कर
गनपती का ध्यान
हन्स वाहे निशारदान शग्गो का दो ज्यान
देवता
दीजि ध्यान किरन बिखराए
मुझ मूरख आज्यानी को
रस्ता दो दिखलाए
अमरित वानी गा रही हनुमान की आज
हे स्वामी बजरंग बली पूरण करना काज
खोनाथ सुख देव के सर पर अपना हाथ
वीर धीर हनुमान जी
सदा निभाना साथ
जैज़ेज़े श्रीराम जैज़ेज़े हनुमान
सेवक है श्रीराम के पवन पूत्र हनुमान
श्रीराम के चर्णों में अस्थान
सबसे बड़े बलशानी है बुद्धी बड़ी विशेश
उनके बिना रामायड में कुछ भी नहीं है शेश
श्रीराम की लाडले
मानजनी के लाड़
बळशानी बजरंग बने करते सदा कमाद
बजर देह हनुमान की हात में गदा सुहाई
देते है अभिमानी का हर अभिमान मिटाई
जैदे जैश्रीराम जैदे जैश्रीराम जैदे जैश्रीराम जैदे जैश्रीराम जैदे
जैश्रीराम जैश्रीराम जैदे जैश्रीराम जैश्रीराम जैश्रीराम जैश्रीराम
जैस्रीराम जैस्रीराम जैस्रीराम
जैस्रीराम जैस्रीराम जैस्रीराम जैस्रीराम जैस्
नगर
अयोध्या में चले
आज भीन का राज
जैदे
जैश्रीराम जैदे जैश्रीराम जैश्रीराम जैस्
सिद्ध बली हनुमान जी कोट द्वार कहलाई
सिद्ध बली के दरशन से
हर संकट कट जाए
गट वाले बाबा का बिल्ली में अस्थान जहां वरगट वाले बाबा जी
कहलाई हनुमान
संकट मोचन नाम है
संकट देते तान सचे मन से पुकारिये आएंगे ततकान
परोड विनती करूं दयावान हनुमान चरन शरन रहूं आपके दो ऐसा वरदान
जैहनुमान जानकी नंदन तुम्हे नमन है तुमको वंदन
हनुमत मेरे काज सवारे नेरदन के घर्यनात
पधारे राम कि सेवक सिया की प्यारे
अश्ट से धिनो निधियो वाले तुम हो अनेको
विधियो वाले तुम निरबल के बल हो स्वामी
नानोप है बाला जी तुम कहलाते हो
लाल लंगोटे वाले हो तुम बाबा सोंते वाले हो तुम भूत
बिशाच निकट नहीं आते
तुम बाला जी गदा उठाते है
शिवशंकर के तुम अवतारी
देव्यसुमन सी छवी तुमारी कल युग के
महराजा हो तुम अवजपुरी के राजा हो तुम
प्रेता तीरो की
सरगम में द्वापर
अरजुन के परचम में दोनों जगह हनुमान तुम ही थे
विश्वाद पर नहीं आते था तुम भी प्रेता तीरो की बाला जी गदा उठाते है
शिवशंकर के
तुम बाला जी गदा हुआ
तुम
प्रेता तीरो की बाला जी गदा हुआ तुम भी प्रेता तीरो की
बाला जी गदा हुआ तुम भी प्रेता तीरो की बाला जी गदा हु�
हुआ था वही राम से
श्रीराम की
लेके निशानी लंका जाने कोमन ठानी सीता जी का पता लगानी
शांग
लगाकर भड़ी उडानी गगन में जाकर ववन वेग से उड़े जा रहें
हनुमत यावे भड़े जा रहें
उड़े जा रहें हनुमत ज्यानी चारो तरफ बस दिखता पानी
राम नाम का लगाके नारां
सुर्सा नाम की एक
लंकनी पुड़े गगन में असुर दैत्यनी करती शिकार देख परचाई
उसको हनुमत पड़े दिखाई सुर्सा ने हनुमान को रोका
बीच रह में उसने टोका आज तिरा आहार करूँगी
हनुमत बोली जान दे माई संकट में मेरे रघुराई हाथ मैं जोड़ू जाने दे तू
सुर्सा बोली
हाथ बढ़ाकर पेट भरूँगी तुझको खाकर किसमत से
आहार मिला है
सुर्सा ने अपना मुझ फैलाया हनुमान में बदन बढ़ाया
बन चुक तिरा आहार कैसे भरे तिर बेट का इतना बड़ाकार
सुर्सा तब बोली है हसकर चतुर बढ़ा है
तूरे बंदक जीत गया तू दे के परेक्षा
ये हनुमन्ता आसमान में उड़े तुरंता
किधर को जाओ
समझ ना आए
आस
कदीपत बुझता जारे तुरिजटा राक्ष से मिल जाती
है उसकी आखे खिल जाती है गरज के बोले हनुमान से
सुन रे मेरी बात ध्यान से रावण में भी है
सरदारी करुलंका की तहरेदारी कहा जा रहा आखे मीचे
मिना किसी से जागे पूछे मिना युद्ध के जाने ना दूँगी
आगे पाव बढ़ाने ना दूँगी मुख्य द्वार पर पहरा मेरा
पहरा है बड़ा पहरा मेरा
हनुमान ने मारी मुश्टिका गई चेतना मरी त्रिजटा
वाटिकाति मनः भारी
एक तेड़ पे चड़कट ऊपर से नीचे जब देखा
अनुमत
सोचे यही है माता अश्ट जेल रही हावे विधाता
वहाँ खड़ी सब
राक्षसी वापस जब चली रान
मुंदरी प्रभु श्रेराम की
नीचे दी है गिरान
सीता नी जब मुदरी
देखी सोच रही मन में अनसोची
स्वामी की मुदरी कहां से आई यामन पर कोई विपजाई
बिलक्ख बिलक्ख लगी सीता रोनी असुवन से लगी मुखडा धोनी
हनूमान जी घबराते हैं जग से नीचे आजाते हैं
हाथ जोड प्रणाम किया है फिर अपनी पहचान दिया है राम का सेवक हनूमान हूँ
भाल सुनाया उनको सब अवगत करवाया बोले राम जल्दी आईंगे
संग में अपने ले जाएंगे
हनूमान से बोली सीता हरन हुए
अतिसमें है बीता
माह के भीतर ना आईंगे
सिया को जीवित ना पाईंगे
हनूमान बोले मरदुवाणी धीर धरोमन माताराणी दलबल संग हम सब आईंगे
लंका जीवित ले जाएंगे चूडा मडी दे
करके निशानी बोली है सीता महाराणी
मेरे निशानी ले कर जाओ
मेरे
ज्वानी पो दिक्लाओ
यदी मैं आपकी आज्या पाऊंगी अले खाकर मैं भूक मिताओ
प्रेहस नहस कर डाली
वाटिका ओ बेपलो से खाली वाटिका
सुनी ख़वर जब बाग की मेगनाथ गयाएं ब्रमभास में बादखे हनुमत को ले जाएं
गर्बार में आकट पिता से भूला देखलो वानट
बाग उजाडा इसने हमारा लगना कैसे ये बेचारा
रावड भूला ख्रोध में आकट कहां से आया है ये वानट
भरी सभाँ में इसे सजा दो इसकी पूच में आग लगा दो
जितना वस्त्र लिपटता जाएं उतना ही कम
पढ़ता जाएं वस्त्र लग गया सारे नगर का
एल न समझे एवानल का तेल डाल कर आग लगा दी सभाँ में भागम भाग मचा दी
हनुमान जी उचल उचल कर ओद रहे रहे मचल मचल कर
जल रही आग में लंका सारी भाग रहे थे सब नर
नारी रावन का अभिमान जल रहा
नारी आग लगा कर
पहचे सागर तट पर आकर अपनी पूछ की आग बुझाई
हाहा कार मचा लंका में हर घर बार जले लंका में रावन की कुछ समझ ना आए
सीता ने देखी उठती
लपटे हो रह थी सब मन की उनके
दूर से ये सब देख रही हैं विज़े मिलेगी
सोच रही है
हनुमान जी
आग बुझाकत राम नाम जै भोष लगाकत
लंबी उडान भरी फिर
उड़कर उड़ने लगे सागर के उपर
चूडा मणी लेकर के निशानी उड़े जा रहे हनुमत ज्यानी
किशकिंधा में पहचे आकर राम के आगे शीष नवाकर