Nhạc sĩ: Parshuram Yadav
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सुनि सबे
गोतिनी का अशार पड़ुसीनी पर पड़ेला
अशेतं मिर्जापूर,
इलाहाबाद,
भदोही,
बनारस,
शंदाओली,
जाओनपूर, बलियां, गाजीपूर,
गोरकपूर, देवरियां, महुआजमगढ
इस सब जीलन में कजरीत प्रचलित है ये बा
लेकिन हमहने का पड़ोसी प्रांट भीहार में भी एक अशार पड़ेला
वैशे ये कजरी रोपनी के समय का लय है
महरारू लोग जब धान का रोपनी सुरूलो करेला ओ समय ये लय का कजरी लोग आवेला
एक गरी में एगो भोजाई का भीरह बा उ भोजाई
अपना देवर से भीरह सुनावतिया का सुनावतिया
हमरो पिया धीरह में बरिसे लानय नवाय देवरू
परदेसे गईलन मनभावन परदेसे
रही रही कंगन मोरा खनके
चोली में चिनगारी चनके
बेधे मदन बदन में जख जोरे जो बनवाये देवरू
परदेसे गईलन मनभावन परदेसे रही रही कंगन मदन बदन में जख जोरे
देवर पाती तुरत पठावा