फागुन के रस्गर महीना में हम भोजपूरी
गयक राकेश मिस्रा टीफ कंपनी के माध्यम से
कितकार मनोज मतलबी सहयोग अखिलेश जी चुटन मनिष के साथ
बड़े भईया रख्वेंदर पृताप सिंग जी के आशिरबात
और रितेश गोस्वामी भाई के सहयोग से
फागुन में देखी कैसे हमनी के मूड बनावत तनी जा
मजाक भहीला भावजा ये से गुनन्दी
कोईलासीय ये जी कोईसे कोना भाव में महराज
कहना भाव में हो
कहली हाहो
करे भाव लगदो
भाव लगल
फागुन मेरो अबना कुमार हमर का दो चाहीं
विवस्था
देखी भाव का लगल पंपी भाव कैसे बाद
भागुन मेरो हबना कुआर हमरा महरत चाही
महरत चाही महरत चाही महरत चाही
जाके खोजबाव भाव जी
कहावा कहावा
बखसर बोली है हो
बड़ी भाव जी ला हो
कि प्रेम से रौंगे जावन
अच्छा
हगोर दूनो गाली है हो
यह देखा का भाव लगल हो
अरे का लगल
देखी आके तूरे तार तार
महरत चाही
अच्छा इसन बात कर गाओ
भाव जी से नना दूने रादवर कराओ चटनी को सबर कराओ
जीया हो
अच्छा
भोजपूरी माटी वाला
जीला में ही जाई हाओ
आमोच्छी वाला मरा देशे नागता जोड़ा वाई हाओ
जेकर पीछी कारी से
अशी शीकारी निकले हो
भावे न भतार सुकाबार हमारा मरद चाही
आगुन मेरो हवना कुआर हमारा मरद चाही