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Hamare Jivan Me Kathaye Kya Bhag Nibhati Hai

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Lời bài hát: Hamare Jivan Me Kathaye Kya Bhag Nibhati Hai

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

प्रोध का मोह का, मद का माछ सद्र का, ईरसा का, दिवेस का, इनका अब्यार्स हमारी पूर्ब भोग योनियों से हुआ हैं
और 84 लाख योनियों के क्रम में
हम भोग योनियों को बटकते बटकते
जिसमें एक बार भी भगवान का नाम नहीं गाया
तो मनुस्य देह में भी
आपकी बिडंबना नहीं है
हमारी ये परेशानी नहीं है
ये वस्तुता होगा ही
क्योंकि जिस बात की आदत पहले से लग चुकी है वही होगी वही निकलेगी पहले से भोगियोणियों से आये हैं
केवल संतति करना, सैयन करना, भोजन करना, अन्यान प्रकार के कुकर्मों में रत रहना यही सब किया है
तो इस मनुष्ट देह में आने के बाद भी वही यादाता है जो पहले का अभ्यास है
तो मानों भगवान गीता के आठवे अध्याय में एक बात कहते हैं अर्जुन से
मैं में जो-जो भाव और करता है जीव उसी तरह मैं उसे उसी प्रकार के लोकों में
भेज देता हूं उसी तरह से उसे मुकति-भुकति प्रदान कर देता है यम्यम आप स्मरंभ
कि हमें कथाएं साधन बनाई गई हमें भगवान का कीर्तन भगवान का नाम जपत संत चरणों का आस्त्रे उनकी वानी
का आस्त्रे सत्संग हमें इसलिए बार-बार कराया जाता है जो पुरानी आदत है वह छूट जाए और जितना टाइम मिला
है इसी जन्म में दूसरा अभ्यास बन जाए जो सार्थक है इस अभ्यास को करने से भगवत प्राप्ति होगी और आवागमन
का चक्कर खत्म हो जाएगा सदा सर्वदा के लिए प्रेम से कहिए राधे राधे हुआ था कि बड़ा अद्भुत यह प्रशंग है
जीव को बार-बार यह प्रयाश करना चाहिए कि जब हम यहां से जाएं तो ना हमारे साथ बच्चा गाएगा ना हमारे साथ
पत्नी जाएगी ना इतना धन कमा महाराज कमा कमा करके दूसरे कभी हडप हडप करके दूसरे के हिस्से कभी बटोर-बटोर
दोर करके दूसरे का तो छोड़ो भाई का विचाल अंगुर दबा लिया महाराज अपनी तरह स्थिति इतनी बुरी है हमारी
कि इतना समेट समेट के रखा है मानो भूल बैठा है कि यह जाने वाला कुछ नहीं है कुछ नहीं जाएगा क्या जाएगा
यहां से फिर ना मकान जाएगा ना दुकान जाएगा ना पत्नी जाएगी ना बच्चे जाएंगे महाराज कि बहुत गोड़े हांती गईया
सब आपने बना लिया बढ़िया गौधन बनाया महाराज सुना आदिया भूसन भी तैयार कर लिए बढ़िया कोठी बंगले
मकान भी बना लिए पर जाने वाला कुछ नहीं है एक के साथ भी गया हो तो प्रमाण दे देना मुझे यहां से तो वह राजा
सिकंदर भी गया तो उसके भी हाथ खाली था कि क्या जाता है साथ मजीम के केवल और केवल धर्म जाता है आपका किया
कि दे हस्ति था या पर � yaka मार्गे
पूर्ण लौगेपु ढर्मा नुभर गक्षति जीवै का और क्या कहा ध्र्मा नुभर गक्षति जीवै का एक अधर्मा ही और
साथ जाता है जो जीवन भर की कमाई हुई सत्कर्म की पूजी है वहीं वहां लेकर याद जा सकते हैं
जीवन जब प्राप्त हो तो सदैब सत्कर्म में रहना चाहिए सत्कर्म करना चाहिए क्योंकि अंत समय जो सत्कर्म
याद आता है ना जब कोई मरता है तो बड़ा वैराग आता है महाराज सब बेकार है क्या रुपए पैसे के पीछे पड़े
है और सच बताएं हम आप सब इसी में फ़से हैं कि हम लोगों की यही बिड़ंबना है कितनी भी बैराग की बातें
कर लें पर वह प्रपंच चढ़ेगा जरूर महाराज वह माया का चोला चढ़ेगा ही चढ़ेगा कि विश्णोर माया भगवति यहां
सब्मोहितम जगत यह संपूर्ण जगत भगवान की माया में ब्यामोहित है होगा लेकिन यह कथाएं सचेत करती
रहती हैं अब याद कर लें अब याद कर लें बार-बार स्मर्ण कराती है मरघट जाते हैं किसी के मरण के ऊपर आंत तो वहां
बैराग आ जाता है वास्तों में सब बेकार है बताओ सुबह की चाय साथ नहीं पी थी बेचारे ने जटके में स्वास आनी
रुप गई अटैक आया और चला गया बेचारी क्या लेकर गया इतने करोड़ों रुपए बनाएं पर सब बेमतलब के हैं बच्चा तो
सराब पीता है जुमा खेलता है को कर्म करता है बाप ने इतना सत्कर्म किया सब छोड़ कर चला यह बेराग की बातें
कहां करते हैं जब उसका सरीर जल रहा हो था और पत्री का फोन बजा महाराज हां बस आई रहा हूं थोड़ी देर में निकलूं
चुण पर जैसे घर पहुंचे पानी डाल थंडा थंडा तो सारा वैराक्त भी ठंडा हो यह प्रेम से को राधेर की
कि मैं कह दिया करता हूं कि प्यास लगती है तो पनघट की आदात्य है ए है प्यास लगती है तो पनघट की आदात्य है
सर्म लगती है तो गूंघट की आद आती है
कितनी
गमगीन कहानी है इस जिंदगानी की
कि जब उम्र ढलती है
तब मरगट की आद आती है
मरगट की आद आती है
मरगट की आत तब आती है
जब सारे सहारे छूट जाते हैं
बच्चा सुनता नहीं
बहु खरी खोटी और सुनाती है पड़े पड़े ओडर चलाता रहता
काम का नकाज का दुस्मन अनाज का एक खाट फेक दी बाहर और महीं पड़े रहो महराज
कफ़ बात पित्त ने जिकड लिया
कितना भी धन कमाया अपनों के लिए पर यहाँ कोई अपना नहीं है प्यारे सब पराए
स्वारत के सब रिस्ते नाते
सुगदेव जी महराज को

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