दिक्टिक डिक्टिक कहा चाहिए बार
ददददद भेडा में पर बहन ला
गोरी हो तो हार कोमर लागे ला इतना उमर
देखी जोबन पागल भैनी चान साई कब हामार
अरे बोला ना हो चान साई कब हामार
गोरी हो तुम्हारे कौमर लागे ला एक नौमर
देखी जोबन पागल भैनी चान साई कब हामार
हमर लहना बाबा बड़ी महना तो एही मेहरा जैबा
देखे राम में मर महता ए बाबू भी कहां जैबा
देखी तो हरी गौरम जाने
आवे मुहवा में पानी तन कोरे दा तू छेड़े खानी आके लोगे ये रानी
अरे दूर रहा
जै बलबा तू जादा प्रचान से जै बोतादा कारण आती हो छाती ठिक ना बागे रादा
हामर लोहं आबा मड़ी महता तू एहे मेहरा जै बो
जज़दी फेरा में मढ़ो बाहतू ए बाबू भी कहां जै बो
जज़दी फेरा में मढ़ो बाहतू ए बाबू भी कहां जै बो
जज़दी फेरा में मढ़ो बाहतू ए बाबू भी कहां जै बो
अपने तू पगवान बीकास की बाय और मान देखे दोना दोकान
भीर मत बोला अरे मान जाओ
माड़ा तू ता पगलाई मती पा महराई एपापू राखा कापू छुट जाई धाधाई
हमार ला हुनाबा बोड़ी महता तू एह महरा चाईबा
जो दिखेरा ममड़ बहातू एपापू भी कहा चाईबा
अरे तुहरा ला बीके खातिर तयार बानी हो
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