प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
हम गुनहगार हैं तेरे शाम परसों से
हम गुनहगार हैं तेरे शाम परसों से
मांगते हैं छमा तुझसे तेरे भक्तों से
मांगते हैं छमा तुझसे तेरे भक्तों से
हम गुनेहगार हैं
तुने सृति की खादल था सीश का दान दिया
तुने धर्म की रख्षा की सबका कल्यान किया
वीरों के वीर थे तुम शूर्वी
थे या जक बने शिर कृष्ण तुम तो दानवीर थे धर्म जो तूने हमें सिखलाया करम जो तूने करके दिखलाया
भूले बैठे हैं सारे आज देखो कल जुग में हम गुनहगार हैं तेरे शाम बरसों से
मांगते हैं छमा तुझ से तेरे भकतों से
हम गुनहगार हैं
झाल
झाल
कर दो
कर दो
यू दो
तेरी इस कुर्वानी से नहीं कुछ भी सीखा हमने
स्वारत ही स्वारत है प्रभू हम सब के जीवन में
स्वारत ही स्वारत है प्रभू हम सब के जीवन में
दर तेरे आते हैं पिकनिक मनाते हैं
घर लोट कर बलदान तेरा मूल जाते हैं
एहमे चूर हैं सत्त से दूर हैं
बन के प्रेमी तरे फिर भी मशुभूर है
दिखावा ही दिखावा है सब के जीवन में
हम गुनहगार हैं तेरे शाम बरसों से
मांगते हैं छमा तुझ से तेरे भक्तों से
हम गुनहगार हैं
मेरी ये बिलती है
हम सची लगन लगाओ
हमको भी थोड़ी सी भगती की राह दिखा
पड़े ना दिखावे में जग के छलावे में
हम बहके ना प्रभु धोगियों के छल बहकावे में
मन में इमान हो
कभी ना कुमान हो
तेरे बेमी की जग में
ऐसी पहचान हो
रखना तुम दूर रोमी को
बुरे कर्मों से
हम गुनहगार हैं तेरे
शाम परसों से
मांगते हैं छमा तुझ से
तेरे भक्तों से
मांगते हैं छमा तुझ से
तेरे भक्तों से
हम गुनहगार हैं