हारी हारी नजरे हैं राहे तके
हारी हारी नजरे हैं राहे तके
क्यों ना आया ओरे पिया
आखे मेरी बिरहा में जोगन बने
क्यों ना आया ओरे पिया
सावरिया ओरे सावरिया नजरिया रे काहे फेरे
सावरिया ये जिया तुम बिना
क्यों ना आया ओरे पिया
अंगना में जोगनों ना ही आये
ओरे पिया जे तुम बिन घंगोर अंधेरा सा छाए
आखे आये रहे ना ही पाए
ओरे पिया जे तुम बिन इनको तु काहे यूं सताए
हो जब शैन तुगरा है रात क्या नहीं क्यों किलते नहीं
ये अब दीने से किड़ की पेचांद नीमो से क्यों मिलती नहीं है
मैं भरू सांसे तो एक इन सांसे होरी चलती नहीं है रे
सामरिया ओ रे सामरिया नजरिया रे का है फेरे
सामरिया ये जिया तुम मिना ही लगे
क्यों ना आया हो रे पिया
क्यों ना आया हो रे