ओ रबा ओ रबा कभीसमझ ना ही क्यों है मिलन के बाद जुदाईएक पल में जो कभी दिल में था बसताक्यों हो गया हर जाईअभी के अभी तूटे सभीतेरे सपने सजाए थे बलकों में कभीहारी मैं हारी हारी मैं हारीतेरे बेना मैं हारी सजनाजिन्दगी सारी कैसे गुजारीतेरे बेना मैं हारी सजनाप्रस्तुत्र प्रस्तुत्रप्रस्तुत्र प्रस्तुत्रप्रस्तुत्र प्रस्तुत्रप्रस्तुत्र प्रस्तुत्रप्रस्तुत्र प्रस्तुत्र