पत्तो पे लिखे हम थे नामपत्तो पे लिखे हम थे नामपाना सका बताना सका एहसास सारी क्या किताबों में होगी अफसाने हमारीसपनों की इस नगरी में है छोटा एक मकानइन हस्रतों के बीच मेरा दब चुका है ख्वापक्या खूब है लिखा कि मेरा मर चुका है दिलमगर जिन्दा हूँ मैं पर सब्सक्राइबसमझना बन चुका है लाशकलमों के अब बीच मेरा कागस फस चुकाक्या ही लिखू तेरे बारे तू है तारे आसमाके में गिनते गिनते थकू पर ना खतम होगी तूतेरी रोशनी को देखा मिलता मुझे सुकूंइस दिल के अफसानों में क्या शामिल होगी तूमैं अब दर्व दर्व बटका के तीर राह पे चलूरास्ता ना दिखता पर में एक मंसल के मुसाफिरफांसला था गहरा जुदाई में क्या मैं अब लिखूबोल चुका हूँ खुद कौरू अंधेरों में गुमबस उन यादों में मुझे ता जिसमें शामिल सिफ है तूबिखरने का शौक कलाकारों का है कौपकुटे बिस्तर में पर आहू जॉन के किताबों के साथइम्तहा ले रही अब यही जिन्दगीतेरी एक चलक पाने के लिए मर मिटेये क्या बात हुई क्या रही सब खामूशीये दिल का कसोर क्या जब ना रहे ये सादगीलशकरों के बीच मैं आकेला हूँ खड़ातू मेरी में तेरा पर हम दोनों हैं ना यहांगिरेंगे जिस पल तेरी बाहों में आकर उस पल तक का जाना सफर का ना पतावो जो बारिशों में भी गम रहे थेवो जो राशिनी के छाओं के तलेवो जो पत्तों पर लिखे हम थे नामयादे सारी कैसे जाना मिट अब रहे हैवो जो बारिशों में भी गम रहे थेवो जो राशिनी के छाओं के तलेवो जो पत्तों पर लिखे हम थे नामयादे सारी कैसे जाना मिट अब रहे है