खुद ही कर्म गलत करता रहता है।
इसलें कभी चिंता मत करना।
खुस रहो आप।
आप महान हो।
आप अच्छे हो।
तर्यारी करो अपने गाउं में मुझे बुलाने की।
खाली बैठे मत रहना।
दो तीन साल बाद नंबर अपने गाउं कर लगा दीजे।
अपने गाउं में जिन्दगी में एक बार भी सट्संग
नहीं करा पाए। तो ये मनुस्य जीवन पाना ब्रत है।
बस केवल बस खाया पिया गहाई के सोया पाऊं
पसार और भून्दू भून्दू सोगे को हमको संसागी।
कोई जानते नहीं भून्दू भून्दू नहीं।
ये जिन्दगी में सट्संग कराना आने वाल है।
आप सीखो महान भक्त स्री बन्वारीलाल देवांदन सिंग्जौ।
कोई अरब पती करोड़ पती नहीं है।
भक्त करने से इतना प्रवल galleries पन्द करने से जिस से function में,
अब
हां बूद फाल बैचर भरा.
और आब आया हों तो इनके पास असंग देव अरणीचर भंडार है।
और अगली बाहर आओंगा तो पता नहीं कौन भंडार खोलेगा।
कुछ होगा जरूर।
क्योंकि मैं जिस भक्त का दाना खाता हूँ,
आँख बंद करके उसके लिए ध्यान लगाता हूँ,
कि इस भक्त का भला हो,
इसकी उन्नती हो जाये।
ऐसा ध्यान लगाता हूँ, हाँ जोड के लगाता हूँ,
इस तरपं लेटे लेटे लगा देता हूँ।
और लगभग हर भक्त की याद हम साल,
दो साल में एक बार जरूर कर लेते हूँ।
कुछ भक्तों ने ज्यादा मेरे दिल पर प्रभाव डाल दिया,
तो उनकी ज्यादा यादा जाया। और जिनोंने कम डाला,
तो कम यादा जाती हूँ। लेकिन आ जाती हैं। ऐसी नहीं है कि हम याद
ही नहीं करते। यह मस्चना मैं ही केवल गुरुजी का ध्यान करता हू�
तुम्हें देखे कर के ये ख्याला रहा है
कि जैसे फरीष्ता
कोई हश रहा है
कोई मेरी आखो को देखे तो समझे कि तुम में क्या नहीं है।
तुम ही मेरे मन्दिल तुम ही मेरे पाद
पर देखे तो समझे कि तुम मेरे क्या हो।
तुम ही मेरे मन्दिल तुम ही मेरी पूजा तुम ही देवता हो।
तुम ही
देवता हो।
पहुँ सुद्धा है।
नहीं बात, आनन्द प्रभाद।
तुम ही मेरे मन्दिल
तुम ही मेरी
पूजा
तुम ही देवता हो। तुम ही देवता हो।
तुम ही राम भेरे कनयिया तुम ही हो।
जीवन की नयिया के
केवईया तुम ही हो।
बोलिये सद्वृवगवान की जैवो।
आयो जक्य यज्मान
वन्मारी लाल।