भगवान गयया चरा करके लोट रहे हैं
लोटते समय भगवान ने देखा की पूरे के पूरे ब्रणदावन
धाम में सब के घर अनेक भट्टियां लगी हुई हैं
और खूब पत्वान बन रहे हैं
बगवान ने पूछा क्यों गोपी कहा बाते इतने पकवान क्यों बन रहे हैं
वोले कनया देवता की पूजा हैं कहा देवता हम से बड़ा कौन देवता आ गया
वोले कनया मैं ना पता बाबा नंदने ही डौले
बिटवादी हैं पूजन के लिए समय कम रह गया है
गरमिका अंगी करने करा अंगी बीड्डक की में रहे
ते भी वर्षन ति भूता नां
प्रिडनं जीवनं पयाः
शुक्खम दुखम भयम चेमं कर्मने वावि पध्यते
कर्म की आधार सिला भगवान ने वहां बताई
और अपने बाबा को ये उपदेश किया
कि बाबा हमें इंद्र की नहीं
हमें प्रत्यक्ष देवता गिरिराज जी की पूजन करना चाहिए
और गिरिराज पूजन के माध्यम से मनुष्य मात्र को
प्रकृती की सन्रक्षन का संदेश दिया भगवान ने
कि महाराज प्रकृती भी देवता है इसका भी हमें पूजन करना चाहिए
ब्रक्षलता इत्यादी परवतों का भगवान ने गोवर्धन
पूजन के माध्यम से बरजवासीयों को ले कर के चले हैं
बहुत विस्तार नहीं कर पाएंगे इसलिए सीधे आपको ले कर के
चल रहे हैं उत्सव की ओर सारे बरजवासीयों को एकत्रित किया
नंदबावा ने भी महराज भगवान की बात मानी
और सारे के सारे बरजवासी एकत्रित हो कर के
अपने अपने घर से किसी ने मालपूआ,
किसी ने गुजिया,
किसी ने जलेवी
नाना प्रकार के 56 भोग बनाए,
36 वेंजनों को तयीआर किया
और सब लोग अपनी अपनी बेल गाड़ियों में रख
कर घरिराज भगवान की पूजन के लिए चल दिये