तो मेरे प्रीश्चजनों,
जस समय राजा गोपीचन ने
महात्मा की भेश में
बंगाले में जा करके अपनी बेहन चमपा दे के दरबादे पे
अलाखे नरजन करके भिच्चे मांगी हैं।
तो जो राणी की दासी थी
आज दोड़ करके आई हैं।
पता पुछा है तो गोपीचन नाम बताया है।
तो जा करके
आज अपने महाराणी सु जबाव देरे के बेहना।
आरी बेहना
जखी तो करले अपने बीरे गोपीचन जोगी हैं।
गया मेरी बेहना जखी तो करले अपने बीरे गोपीचन जोगी हैं।
सीसी जटा को जूड़ा बान दी रही हो।
सीसी जटा को जूड़ा बान दी रही हो।
सीसी जटा को जूड़ा बान दी रही हो।
कहने लगी आज चमपा दे,
बेहना
तु यह क्या कहती मेरी समझ में नहीं आता।
मेरो भाईया राजा होकर क्यों जोगी का भेश क्यों धारन करेगा।
बेहना सुन।
बेहना
हाते का मंदल चिम्टा
बगल में
बान दी की सुनके चमपा
गोपी जन जोगी आई गया।