जिथे पादुकान्ची पुजानीत्य साले, तो घिरनार पर्वत अनन्दात डोले।जिथे पादुकान्ची पुजानीत्य साले, तो घिरनार पर्वत अनन्दात डोले।जो काटनास भिडला, तो घिरनार आहे, जो रत्नान नटला, तो घिरनार आहे।फुले पाने वेलीत, अम्रूत गोले, तो घिरनार पर्वत अनन्दात डोले।जिथे पादुकान्ची पुजानीत्य साले, तो घिरनार पर्वत अनन्दात डोले।जिथे पाख्ष गातात पर्वत अनन्दात डोले।मन्जूल गान। रुषी थोर गातात वेदान्ची वान। जातात ताचा भगतीत गंगेत नाले। तो गिरनार परवत आनन्दात गोले।जिथे पादुकान्ची पुजानीत्य चाले। तो गिरनार परवत आनन्दात गोले।न कोवेल लाऊ तु यश्वन्ता आता। अर चर्णावरी त्यान्चा सुखवाया माथा।जगी माव कैकान्चे तरुनी गेले। तो गिरनार परवत आनन्दात गोले।जिथे पादुकान्ची पुजानीत्य चाले। तो गिरनार परवत आनन्दात गोले।